महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। यह याचिका वकील घनश्याम उपाध्याय ने दायर की है जिसमें ठाकरे और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ हिंसा भड़काने व भाषा आधारित नफरत फैलाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में राज ठाकरे और उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब एमएनएस कार्यकर्ताओं की ओर से गैर-मराठी भाषी लोगों पर हमले और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं सामने आईं।
हाल ही में मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में एमएनएस कार्यकर्ताओं ने एक मिठाई दुकान के मालिक को इसलिए पीटा क्योंकि वह मराठी नहीं बोल रहा था। इसके अलावा, इस महीने की शुरुआत में शेयर बाजार निवेशक सुशील केडिया के वर्ली स्थित कार्यालय के कांच के दरवाजे को एमएनएस कार्यकर्ताओं ने तोड़ दिया। यह घटना तब हुई जब केडिया ने मराठी न बोलने की बात कही और राज ठाकरे को चुनौती दी। इन घटनाओं ने मराठी भाषा के मुद्दे पर तनाव को और बढ़ा दिया है।
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर
5 जुलाई को शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने मुंबई में मराठी भाषा के समर्थन में एक मंच साझा किया। दोनों नेताओं ने महाराष्ट्र में हिंदी को थोपने का विरोध करने की कसम खाई, खासकर तब जब राज्य सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने वाले आदेश को वापस लिया। इस रैली में राज ठाकरे के भाषण को तीन वकीलों (पंकज मिश्रा, नित्यानंद शर्मा और आशीष राय) ने भड़काऊ और गैर-मराठी भाषी लोगों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने वाला बताया।
MNS के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग
वकीलों ने महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (DGP) को पत्र लिखकर एमएनएस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। पत्र में कहा गया कि ऐसी घटनाएं सामाजिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था के लिए खतरा हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत मुख्य साजिशकर्ताओं और राष्ट्र-विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। यह विवाद राष्ट्रीय एकता और शांति के लिए चुनौती बन रहा है जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं।





