दुल्हन नहीं ढूंढी तो मैट्रिमोनी पोर्टल पर लगा 60 हजार जुर्माना, कंज्यूमर कोर्ट ने दिया ये आदेश

आजकल कई लोग जीवनसाथी ढूंढने के लिए मैट्रिमोनी पोर्टल्स की सहायता ले रहे हैं। ये पोर्टल और साइट्स आपकी पसंद और जरूरत के मुताबिक पार्टनर खोजने में मदद करते हैं। इन पोर्टल्स पर प्रोफाइल बनाने के लिए बुनियादी सेवा मुफ्त हो सकती है, लेकिन प्रीमियम सुविधाओं के लिए अच्छी खासी सदस्यता फीस वसूली जाती है। यह फीस आमतौर पर बेहतर विजिबिलिटी, विशेष मैचमेकिंग सेवाएं और संपर्क सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए होती है।

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Matrimony Portal fined for failing to find bride : बेंगलुरु की कंज्यूमर कोर्ट ने एक मैट्रिमोनी पोर्टल पर एक व्यक्ति के लिए दुल्हन न ढूँढ पाने पर 60,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। उपभोक्ता अदालत ने पोर्टल को निर्देश दिया है कि वह पीड़ित ग्राहक को मुआवजा दे। अदालत ने यह निर्णय तब सुनाया जब शिकायतकर्ता से फीस लेने के बाद तय सीमा में दुल्हन ढूँढकर देने के आश्वासन के बाद वो विफल रहे और फिर फीस लौटाने से भी मना कर दिया।

बता दें कि मैट्रिमोनी पोर्टल का मुख्य उद्देश्य ऐसे लोगों को जोड़ना होता, जो शादी करना चाहते हैं। ये पोर्टल्स संभावित जीवनसाथी की खोज के विकल्प प्रदान करते हैं और लोगों को उनकी पसंद और आवश्यकताओं के अनुसार मैच ढूंढने में मदद करते हैं। इन पोर्टल्स पर उपयोगकर्ता अपनी प्रोफाइल बनाते हैं, जिसमें उनकी व्यक्तिगत जानकारी, पसंद, जाति, धर्म, शिक्षा, पेशा आदि का विवरण होता है। इसके लिए पोर्टल अपने उपभोक्ताओं से अच्छी खासी फीस भी वसूल करते हैं।

क्या है मामला

बेंगलुरु के एम एस नगर के रहने वाली विजय कुमार अपने बेटे के लिए जीवनसाथी ढूँढ रहे थे। इसी दौरान उन्हें कल्याण नगर स्थित दिलमिल मैट्रिमोनी के ऑफिस के बारे में पता चला और उन्होंने उनसे संपर्क किया। पोर्टल ने उनसे 30,000 फीस मांगी और मौखिक आश्वासन दिया कि वो 45 दिन के भीतर उनके बेटे के लिए दुल्हन ढूँढ देंगे। इसके बाद विजय कुमार ने तुरंत फीस और सारे जरूरी दस्तावेज मैट्रिमोनी पोर्टल में जमा करा दिए।

विजय कुमार का कहना है कि तय समय बीत जाने के बाद भी पोर्टल ने एक भी उपयुक्त प्रोफाइल नहीं दी। इस बीच उन्होंने कई बार पोर्टल के चक्कर लगाए और कई बार उन्हें इंतज़ार करने को कहा गया। बावजूद इसके, पोर्टल उन्हें सेवा उपलब्ध कराने में असफल रहा। इसके बाद 30 अप्रैल को विजय कुमार ने फिर से पोर्टल के ऑफिस जाकर दी हुई फीस की राशि वापस मांगी। लेकिन न सिर्फ पोर्टल ने उन्हें पैसा लौटाने से न केवल मना कर दिया, बल्कि कार्यालय के स्टाफ ने उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया।

अदालत ने मैट्रिमोनी पोर्टल को दिया ये आदेश

इसके बाद 9 मई को विजय कुमार दिलमिल मैट्रिमोनी को एक कानूनी नोटिस भेजा, मगर पोर्टल ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। आखिरकार, बेंगलुरु की उपभोक्ता अदालत ने सुनवाई के बाद पोर्टल को दोषी ठहराया। कन्ज्यूमर कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पोर्टल ने शिकायतकर्ता को कोई भी उपयुक्त प्रोफाइल उपलब्ध नहीं कराई और सेवा में स्पष्ट कमी रही। अदालत ने पोर्टल को 30,000 रुपये की फीस लौटाने के अलावा, सेवाओं में कमी के लिए 20,000 रुपये, मानसिक पीड़ा के लिए 5,000 रुपये और मुकदमेबाजी के खर्च के लिए 5,000 रुपये चुकाने का निर्देश दिया। इस तरह अदालत ने मैट्रिमोनी पोर्टल पर 60 हज़ार रूपए का जुर्माना लगाया है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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