जब तक J-K का झंडा नहीं वापस आ जाता, तब तक राष्ट्रीय ध्वज नहीं उठाएंगे : महबूबा मुफ्ती

Gaurav Sharma
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श्रीनगर, डेस्क रिपोर्ट। शुक्रवार को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती (PDP chief Mehbooba Mufti) ने 14 महीने की नजरबंदी (Detention) से रिहा होने के बाद अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press conference) अपने गुप्कर निवास पर आयोजित की। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने शुक्रवार को भाजपा (bjp) पर तीखा हमला करते हुए कहा कि “देश संविधान (constitution) पर चलेगा न कि भाजपा के घोषणा पत्र (Bjp manifesto) पर नहीं “।

वही आगे मीडिया से चर्चा करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि “मेरा झंडा (my flag) यह है (मेज पर जम्मू और कश्मीर के झंडे की ओर इशारा करते हुए)। जब यह ध्वज वापस आ जाता है, तो हम उस ध्वज (तिरंगे) (tricolor) को भी बढ़ा देंगे। जब तक हमें अपना ध्वज (j-k flag) वापस नहीं मिल जाता, तब तक हम किसी अन्य ध्वज को नहीं उठाएँगे … इस ध्वज ने उस ध्वज के साथ हमारे संबंध को जाली बना दिया।

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इस देश के ध्वज के साथ हमारा संबंध इस ध्वज (जम्मू और कश्मीर के ध्वज) से स्वतंत्र (independent) नहीं है। जब यह झंडा हमारे हाथ में आएगा, तो हम उस झंडे को भी उठाएंगे, ” वहीं महबूबा मुफ्ती (mehbooba mufti) ने कहा कि जब से 370 दोबारा नहीं आ जाता तब तक मैं चुनाव नहीं लडूंगी।

आगे वो कहती है जम्मू और कश्मीर (jammu and kashmir) के लोगों (people) से केंद्र को मतलब नहीं है, वे जो चाहते हैं, वह क्षेत्र है। यह देश भाजपा (bjp) के घोषणा पत्र पर नहीं, संविधान पर चलेगा। वहीं मुफ्ती ने न केवल अनुच्छेद 370 (Article 370) को बहाल (resumed) करने की कसम खाई है, बल्कि कश्मीर मुद्दे का अंतिम समाधान निकालने की बात कही गई।

बता दे कि सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत जम्मू-कश्मीर सरकार ने मुफ्ती को 13 अक्टूबर को 14 महीने की नजरबंदी से रिहा कर दिया था। उनकी बेटी इल्तिजा मुफ़्ती की याचिका पर दो दिन पहले फैसला आया था कि उनकी नज़रबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनावाई होनी थी।

पूरे अलगाववादी और मुख्यधारा (Separatist and mainstream) के नेतृत्व के साथ मुफ्ती को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पिछले साल 5 अगस्त को हिरासत (Custody) में लिया था, इसी दिन केंद्र ने जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को निरस्त कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया था।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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