तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन दिल्ली पुलिस द्वारा बंगाली को बंगलादेशी भाषा बताए जाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे भारत की विविधता को कमजोर करने और पहचान को हथियार बनाने की निम्न मानसिकता का परिचायक बताया। स्टालिन ने कहा कि यह बयान उस भाषा का अपमान है, जिसमें देश का राष्ट्रगान लिखा गया है।
उन्होंने सोमवार को एक्स पर लिखा कि दिल्ली पुलिस का यह कथन कोई अनजानी गलती नहीं, बल्कि शासन की उस सोच को उजागर करता है जो लगातार सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को कमजोर करती है। उन्होंने इसे गैर-हिंदी भाषाओं पर हमले का हिस्सा करार दिया और कहा कि यह भारत की एकता और विविधता के खिलाफ है।
बंगाली भाषा और संस्कृति की रक्षा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को स्टालिन ने इस मामले में मजबूत समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी बंगाली भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए ढाल बनकर खड़ी रहेंगी और इस अपमान का करारा जवाब देंगी। स्टालिन ने ममता बनर्जी की इस मुद्दे पर सक्रियता की सराहना की। इस विवाद ने देश में भाषाई पहचान और सम्मान को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। स्टालिन ने केंद्र सरकार से ऐसी बयानबाजी पर रोक लगाने और भारत की बहुभाषी संस्कृति का सम्मान करने की अपील की है।
बंगाली भाषी भारतीयों का घोर अपमान
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली पुलिस के बंगाली भाषा को बंगलादेशी भाषा कहने की कड़ी आलोचना करते हुए इसे बंगाली भाषी भारतीयों का घोर अपमान बताया है। बनर्जी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में दोहराया, “भारत के सभी बंगाली भाषी लोगों का यह अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। हम इस तरह की असंवैधानिक और अपमानजनक भाषा के खिलाफ तत्काल और सबसे कड़े विरोध की मांग करते हैं।“ उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणियांं बंगाली भाषी भारतीयों की गरिमा को ठेस पहुँचाती हैं और उनका कड़ा विरोध होना चाहिए।





