भारत का इतिहास काफी ज्यादा रोचक रहा है। इनमें कुछ मुगल शासक और महाराज ऐसे भी हैं जिन्हें उनके अच्छे कामों के लिए जाना जाता है, हालांकि कुछ ऐसे भी शासक रहे हैं जिन्होंने जनता पर काफी ज्यादा जुल्म किए हैं। लेकिन लोगों के बीच वह राजा हमेशा पसंदीदा रहे, जिन्होंने जनता के लिए अच्छे काम किए, उन्हें खुद से ज्यादा अहमियत और प्यार दिया। इन राजाओं ने सोने-चांदी के तख्त पर बैठने के बजाय आम लोगों की परेशानियों को ज्यादा तवज्जो दी है।
ऐसे राजाओं का नाम इतिहास के पन्नों पर अच्छे कामों के लिए दर्ज हो चुका है। आज हम आपको एक ऐसे राजा के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पांच लोगों के बराबर का खाना खाते थे।
भूपिंदर सिंह (Bhupinder Singh)
दरअसल, इस राजा का नाम भूपिंदर सिंह है, जोकि पटियाला के महाराजा थे, जिनकी खुराक पांच लोगों के बराबर थी। वह एक साथ बहुत सारे पकवान खा लेते थे। इतिहासकारों की माने तो वह पराठों के बहुत ज्यादा शौकीन थे। लंच और डिनर में उनकी थाली में तरह-तरह के 15 पराठे परोसे जाते थे, जो वह बिना रुके खा लिया करते थे। इसके अलावा, कबाब की कई प्लान हुआ करती थी। साथ ही पटियाला पेग भी चलता था। पराठों में मखमली पराठा खास था, जो वह रोज खाते थे।
शौकीन नवाबों में शामिल
बता दें कि खाने-पीने के शौकीन महाराज के किस्से पुराने दस्तावेजों में पढ़ने को मिल जाते हैं। इन्हें सबसे रंगीले और शौकीन नवाबों में गिना जाता है। खाने-पीने के साथ-साथ वह घूमने-फिरने के भी बहुत ज्यादा शौकीन थे। उनके लिए अलग से महल में शाही किचन बनाया गया था, जहां रसोई उनके लिए तरह-तरह के पकवान बनाया करते थे, जो खाने में लाजवाब होने के साथ-साथ बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट होता था। इतिहासकारों के अनुसार, जब कोई जायका राजा को बहुत अधिक पसंद आता था तो उसे बनाने वाले रसोइयों को तोहफा भी दिया जाता था।
एक साथ बनते थे इतने पराठे
उनके शाही किचन में बहुत सारे व्यंजन पकाए जाते थे। जो पराठे उन्हें परोसे जाते थे, उनमें देसी घी लगाया जाता था। उनकी हर एक थाली में कम से कम 5 से 6 पराठे परोसे जाते थे, जिनमें मावा पराठा, दाल का भरा हुआ पराठा, सूखे मेवे का पराठा और मटन रोगन जोश पराठा आदि शामिल होता था। इसके अलावा, हर रोज मखमली पराठा तैयार किया जाता था, जो कि एक नवाबी डिश है। हालांकि अब यह केवल चुनिंदा जगहों पर ही मिलता है, लेकिन वह स्वाद नहीं आता। यह आम पराठे से बिल्कुल अलग होता था। इसे बादाम, पिस्ता, केवड़ा और केसर की लिप में डालकर तैयार किया जाता था।
देश का सबसे भव्य किचन
राजा की खास बात यह थी कि वह चांदी की थाली में ही खाना खाया करते थे। जब भी भूपिंदर सिंह कोई दावत रखते थे तो वह मखमली पराठा ज़रूर बनवाते थे। बता दें कि पटियाला का शाही बावर्ची खाना 20वीं सदी की शुरुआत में देश का सबसे भव्य किचन माना जाता था, जिसमें 50 से ज्यादा बावर्ची और खास रसोईए काम करते थे, जोकि लखनऊ, काबुल, अवध और अफगानिस्तान के होते थे। यहां प्रतिदिन 40 से 50 तरह के पकवान बनाए जाते थे।
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