“कुछ अफसर गंभीर विश्वासघात कर रहे हैं”, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो का प्रदान फाउंडेशन को लेकर पोस्ट

USAID फंडेड NGO प्रदान फाउंडेशन से मध्य प्रदेश सरकार के MoU पर बवाल मचा है। NHRC सदस्य प्रियंक कानूनगो ने अफसरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने ट्वीटर (X) पर पोस्ट कर जो कहा उसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया, आप भी जानें पूरा मामला।

भारत में विदेशी फंडिंग वाले NGOs पर सवाल कोई नई बात नहीं। खासकर जब उनके तार अमेरिकी एजेंसी USAID से जुड़े हों। हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने USAID से फंडेड NGO ‘प्रदान फाउंडेशन’ के साथ एक MoU साइन किया, जिसने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। यह फाउंडेशन ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर काम करता है, लेकिन इसकी विदेशी फंडिंग और कथित राजनीतिक संबंध अब विवाद की वजह बन गए हैं।

इसी बीच, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य प्रियंक कानूनगो का तीखा बयान सामने आया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, “कुछ अफसर गंभीर विश्वासघात कर रहे हैं।” उनका दावा है कि कुछ अधिकारी जानबूझकर ऐसे NGO को सरकारी योजनाओं में शामिल कर रहे हैं, जिनकी पृष्ठभूमि संदिग्ध है और जो राज्य की नीति-व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं।

यह बयान न सिर्फ एक प्रशासनिक चूक की ओर इशारा करता है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि क्या राज्य सरकार इस MoU की हकीकत से वाकिफ थी या रणनीतिक रूप से गुमराह की गई? इस विवाद ने पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत पर एक बार फिर से ध्यान खींचा है।
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NGO से जुड़े विवादित कनेक्शन

1. NGO का बैकग्राउंड और USAID फंडिंग

Pradan Foundation ग्रामीण इलाकों में खेती, पशुपालन, महिला विकास जैसे क्षेत्रों में काम करता है। USAID जैसी अमेरिकी एजेंसी से इसका मजबूत फंडिंग नेटवर्क रहा है। आलोचकों का मानना है कि ऐसा विदेशी फंडिंग संपर्क भारत की नीतियों पर प्रभाव ढाल सकता है।

2. कांग्रेस से कथित कनेक्शन

कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि Pradan Foundation का संबंध कांग्रेस से शायद इसीलिए जोड़ा गया है। हालांकि NGO खुद इसकी अस्वीकृति करता है। लेकिन विपक्ष में इस बात की ऊहापोह पैदा हो गई कि क्या MoU से पहले सरकार ने राजनीतिक संदर्भों की जांच की थी या नहीं?

3. सरकार की सफाई और दावा

सरकार का कहना है कि MP के मुख्यमंत्री और राज्य नीति आयोग ने NGOs की क्षमता, शीर्षक और अनुभव को देखा है। Pradan के साथ समझौता खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग के लिए किया गया था, न कि किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत । उन्होंने साफ किया कि सभी MoU सरकारी प्रक्रिया के तहत पारदर्शी ढंग से किए गए।

CM मोहन यादव की राष्ट्रवादी छवि के बीच उठता सवाल

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को व्यक्तिगत और सांगठनिक रूप से जानने वाले लोग मानते हैं कि वे राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रतीक हैं और कभी भी विदेशी फंडिंग वाले संस्थानों को नीति निर्माण में शामिल नहीं होने देंगे। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से यह संदेह गहराया है कि कहीं मुख्यमंत्री सचिवालय के कुछ अफसरों ने इस NGO की पृष्ठभूमि की जानकारी छिपाकर यह MOU पारित नहीं करवा दिया हो।

अब सवाल यह उठता है, क्या सरकार को बिना पूरी पड़ताल के विदेश फंडेड और राजनीतिक इतिहास वाले संस्थानों से गठजोड़ करना चाहिए? राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि जब जनता ने एक विशिष्ट विचारधारा को चुनावों में नकार दिया, तो उन्हीं विचारों से जुड़े लोगों को नीति निर्माण में शामिल करना जनादेश का अपमान नहीं है क्या?


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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