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Thu, Dec 18, 2025

खरीफ सीजन के दौरान यूरिया की कमी का मामला गरमाया; सांसद ने केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा को लिखा पत्र, क्या मांग

Written by:Mini Pandey
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सांसद ने चेतावनी दी कि अगस्त में स्थिति और गंभीर हो सकती है, क्योंकि इस महीने की वास्तविक आवश्यकता 3.50 एलएमटी है, जबकि केवल 1.70 एलएमटी यूरिया आवंटित किया गया है।
खरीफ सीजन के दौरान यूरिया की कमी का मामला गरमाया; सांसद ने केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा को लिखा पत्र, क्या मांग

तेलंगाना के भोंगिर से कांग्रेस सांसद चमल किरण कुमार रेड्डी ने केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने खरीफ सीजन के दौरान यूरिया की आपूर्ति में भारी कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने बताया कि राज्य को इस सीजन के लिए 9.80 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) यूरिया आवंटित किया गया था, लेकिन 31 जुलाई तक केवल 4.36 एलएमटी यूरिया ही आपूर्ति की गई, जो अप्रैल-जुलाई की अवधि के लिए अपेक्षित 6.60 एलएमटी से 2.24 एलएमटी कम है। यह कमी किसानों के लिए गंभीर संकट का कारण बन रही है, जो कपास, मक्का और धान जैसी प्रमुख फसलों की खेती में जुटे हैं।

सांसद ने चेतावनी दी कि अगस्त में स्थिति और गंभीर हो सकती है, क्योंकि इस महीने की वास्तविक आवश्यकता 3.50 एलएमटी है, जबकि केवल 1.70 एलएमटी यूरिया आवंटित किया गया है। इस कमी के कारण किसानों को अपनी फसलों की जरूरतों को पूरा करने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री अनुमुला रेवंत रेड्डी ने पहले ही इस मुद्दे को मंत्री नड्डा के समक्ष उठाया था, जिसमें उन्होंने किसानों पर पड़ रहे प्रभाव को रेखांकित किया था।

केवल तेलंगाना तक सीमित नहीं

कांग्रेस सांसद ने यह भी उल्लेख किया कि यूरिया की कमी का यह संकट केवल तेलंगाना तक सीमित नहीं है। पड़ोसी राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के किसान भी आवंटित यूरिया की आपूर्ति न होने के कारण समान समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यह स्थिति क्षेत्रीय स्तर पर कृषि गतिविधियों को प्रभावित कर रही है, जिससे किसानों में चिंता बढ़ रही है।

पूर्ण आवंटन सुनिश्चित हो 

किरण कुमार रेड्डी ने इस स्थिति को गंभीर बताते हुए केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि केंद्र सरकार 17 फरवरी, 2025 के उर्वरक आवंटन पत्र के अनुसार तेलंगाना को पूर्ण आवंटन सुनिश्चित करे। उन्होंने मांग की कि किसानों की वास्तविक समय की जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप किया जाए, ताकि खरीफ सीजन के दौरान कृषि कार्य सुचारू रूप से चल सकें।