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Wed, Dec 17, 2025

एनएसए अजीत डोभाल की मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात, जानें कितना अहम रहा यह दौरा

Written by:Mini Pandey
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भारत का रूस से तेल और गैस आयात हाल के वर्षों में बढ़ा है, खासकर वैश्विक भू-राजनीतिक बदलावों के बीच। दोनों देश ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसे मंचों पर भी एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।
एनएसए अजीत डोभाल की मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात, जानें कितना अहम रहा यह दौरा

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने क्रेमलिन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। क्रेमलिन प्रेस सर्विस की ओर से साझा किए गए एक वीडियो में डोभाल को पुतिन के साथ हाथ मिलाते और बातचीत शुरू करते हुए देखा गया। इससे पहले, डोभाल ने रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु के साथ भी चर्चा की थी।

डोभाल बुधवार को रूस पहुंचे थे, जहां उन्होंने द्विपक्षीय ऊर्जा और रक्षा संबंधों पर महत्वपूर्ण वार्ता की और राष्ट्रपति पुतिन की इस साल भारत यात्रा की तैयारियों पर चर्चा की। उसी दिन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी तेल खरीदने की सजा के रूप में भारतीय सामानों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने का कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया।

भारत और रूस के कैसे संबंध

भारत और रूस के बीच संबंध दशकों पुराने और गहरे हैं, जो आपसी विश्वास, रणनीतिक साझेदारी और साझा हितों पर आधारित हैं। दोनों देशों ने 1971 की भारत-सोवियत मैत्री संधि से लेकर 2000 में रणनीतिक साझेदारी की स्थापना तक एक लंबा सफर तय किया है। रूस भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार रहा है, जो सैन्य उपकरणों, जैसे एस-400 मिसाइल प्रणाली, और संयुक्त सैन्य अभ्यासों के माध्यम से भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है। इसके अलावा, दोनों देश ऊर्जा, अंतरिक्ष अनुसंधान और व्यापार जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग करते हैं। भारत का रूस से तेल और गैस आयात हाल के वर्षों में बढ़ा है, खासकर वैश्विक भू-राजनीतिक बदलावों के बीच। दोनों देश ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसे मंचों पर भी एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।

पश्चिमी देशों के साथ बढ़ती निकटता

हालांकि, वैश्विक परिदृश्य में बदलाव, जैसे रूस-यूक्रेन संघर्ष और भारत की पश्चिमी देशों के साथ बढ़ती निकटता, ने संबंधों को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। फिर भी, भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को संतुलित रखने की नीति अपनाई है, ताकि वह अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रख सके। दोनों देशों के बीच नियमित उच्च-स्तरीय मुलाकातें, जैसे भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन, इस रिश्ते की मजबूती को दर्शाते हैं। भविष्य में, दोनों देशों के बीच सहयोग नई तकनीकों, जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नवीकरणीय ऊर्जा, में और विस्तारित हो सकता है।