Navratri: जानिए बिहार में मुंडेश्वरी माता मंदिर की खासियत, आखिर क्यों माँ के चरणों में जाते ही बेहोश हो जाता है बकरा

Sanjucta Pandit
Updated on -

धर्म, डेस्क रिपोर्ट | नवरात्रि (Navratri) का त्यौहार चल रहा है और आज नवरात्रि का पांचवा दिन है। जैसा कि आप सभी जानते हैं नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। वहीं प्रदेश भर में माता मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ रहता है। देश के हर कोने में माता की पूजा की जाती है। ऐसे में आज हम आपको बिहार के मुंडेश्वरी माता के बारे में बताएंगे, जहां बकरा मां के चरणों में जाते ही अपने-आप बेहोश हो जाता है…

यह भी पढ़ें – CG Weather : नए सिस्टम से अक्टूबर में फिर बदलेगा मौसम, कई जिलों में बारिश की चेतावनी, जानें विभाग का पूर्वानुमान

कहा जाता है कि इस मंदिर में मां के दर्शन करने से सारे कष्टों का निवारण हो जाता है साथ ही, भक्तों की पूरी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। इतना ही नहीं संतान प्राप्ति के लिए भी यहां किए गए सिर्फ एक उपाय से ही जीवन खुशहाल बन जाता है और इस मंदिर में बलि देने की भी एक अलग ही प्रथा है।

यह भी पढ़ें – मध्यप्रदेश : गरबे को लेकर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दी मुस्लिमों को यह सलाह

नवरात्र के अवसर पर मुंडेश्वरी माता मंदिर में मन्नत पूर्ण होने के बाद लोग बलि चढ़ाने के लिए बकरा लाते हैं। सबसे पहले बकरे को मंदिर के गर्भ गृह में ले जाया जाता है, जहां माता मुंडेश्वरी के चरणों में बकरे को लेटा दिया जाता है। जिसके बाद कुछ मंत्र पढ़े जाते हैं, जिससे बकरा बेहोश हो जाता है और मां की पूजा के बाद वह बकरा होश में आ जाता है और इसे ही बलि माना जाता है।

यह भी पढ़ें –  Navratri : इस माता मंदिर में विराजित है 3 देवियां, निसंतानों को देती हैं संतान प्राप्ति का वरदान 

बिहार के भभुआ में स्थित मुंडेश्वरी माता मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है जो कि पटना से 200 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, जहां रक्तहीन बलि देने की प्रथा है। यहां केवल बिहार ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु मन्नत पूरी होने के बाद पहुंचते हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, यहां दो असुर रहते थे जिनका नाम चंड और मुंड था जो लोगों पर अत्याचार किया करते थे। जिसके बाद माता ने धरती पर अवतार लेकर दोनों असुरों का वध किया था। तब से यह जगह मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वहीं, मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष गोपाल कृष्ण बताते हैं कि मंदिर को नागा शैली डिजाइन में बनाया गया है जो कि सदियों पुरानी है।

यह भी पढ़ें – हाई कोर्ट ने पेंशनरों को दी बड़ी राहत, अक्टूबर में मिलेगा पेंशन-अन्य भत्तों का लाभ, राज्य सरकार को दिए ये निर्देश


About Author
Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

Other Latest News