कहा जाता है कि इस मंदिर में मां के दर्शन करने से सारे कष्टों का निवारण हो जाता है साथ ही, भक्तों की पूरी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। इतना ही नहीं संतान प्राप्ति के लिए भी यहां किए गए सिर्फ एक उपाय से ही जीवन खुशहाल बन जाता है और इस मंदिर में बलि देने की भी एक अलग ही प्रथा है।
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नवरात्र के अवसर पर मुंडेश्वरी माता मंदिर में मन्नत पूर्ण होने के बाद लोग बलि चढ़ाने के लिए बकरा लाते हैं। सबसे पहले बकरे को मंदिर के गर्भ गृह में ले जाया जाता है, जहां माता मुंडेश्वरी के चरणों में बकरे को लेटा दिया जाता है। जिसके बाद कुछ मंत्र पढ़े जाते हैं, जिससे बकरा बेहोश हो जाता है और मां की पूजा के बाद वह बकरा होश में आ जाता है और इसे ही बलि माना जाता है।
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बिहार के भभुआ में स्थित मुंडेश्वरी माता मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है जो कि पटना से 200 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, जहां रक्तहीन बलि देने की प्रथा है। यहां केवल बिहार ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु मन्नत पूरी होने के बाद पहुंचते हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, यहां दो असुर रहते थे जिनका नाम चंड और मुंड था जो लोगों पर अत्याचार किया करते थे। जिसके बाद माता ने धरती पर अवतार लेकर दोनों असुरों का वध किया था। तब से यह जगह मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वहीं, मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष गोपाल कृष्ण बताते हैं कि मंदिर को नागा शैली डिजाइन में बनाया गया है जो कि सदियों पुरानी है।
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