भारत में रेलवे का इतिहास जितना रोचक और मजेदार रहा है, उतना ही पुराना नवाबों का किस्सा भी रह चुका है। एक समय ऐसा था जब रियासतों और नवाबों का भारत में दबदबा हुआ करता था, जो अपने शाही अंदाज के लिए जाने जाते थे। यह अपने जीवन को आलीशान तरीके से जीते थे।
ऐसे में आज हम आपको भारत के उस नवाब के बारे में बताएंगे, जिसके लिए प्राइवेट रेलवे स्टेशन बनाया गया था। वह एक इकलौते ऐसे शाही नवाब थे, जिनके महल तक ट्रेन जाती थी।
सबसे अमीर रियासत
जी हां, अक्सर ऐसे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों से पूछ लिया जाता है। वहीं सामान्य ज्ञान के लिहाज से भी इस सवाल का जवाब पता होना बेहद जरूरी है। यूं तो आपने रामपुर रियासत के बारे में अवश्य सुना होगा, जो कि उत्तर प्रदेश में स्थित थी। आजादी के बाद लगभग 550 रियासतों में यह सबसे अमीर रियासत माना जाता था।
शाही अंदाज
रामपुर रियासत के नवाब अपने शाही अंदाज और आलीशान जीवन शैली के लिए जाने जाते थे। उनका अंदाज इतना निराला था कि आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। भारत की आजादी से पहले रामपुर रियासत देश की सबसे धनी रियासतों में से एक मानी जाती थी। नवाबों की शान-ओ-शौकत यहां ऐसी थी कि उन्होंने अपने लिए प्राइवेट रेलवे स्टेशन बनवा लिया था।
हामिद अली खान
दरअसल, उस नवाब का नाम हामिद अली खान है, जो कि रामपुर रियासत के नवें नवाब थे। जिन्होंने अपने महल तक ट्रेन को लाने के लिए पटरी बिछाई और प्राइवेट रेलवे स्टेशन बनवाया। यह उनके लिए उस समय का लिया हुआ अनोखा फैसला था। यह प्राइवेट रेल लाइन करीब 40 किलोमीटर की थी, जो कि मिलक से रामपुर के बीच बिछाई गई थी।
खरीदी थी 4 बोगियां
केवल इतना ही नहीं, साल 1925 में नवाब ने बड़ौदा स्टेट ट्रेन बिल्डर से चार बोगियां खरीदी थीं, जो अपने आप में बहुत ही खास थीं। इन बगियों को ‘सालों’ नाम दिया गया, जिसमें किचन, बेडरूम सहित तमाम सुख-सुविधाएं उपलब्ध थीं। एक कोच में नवाब हामिद अली खुद यात्रा करते थे, जबकि बाकी के तीन कोच में उनके परिवार और नौकर यात्रा करते थे, जो कि उस समय का शाही अंदाज माना जाता है। हालांकि, नवाब को कुछ प्रोटोकॉल का पालन करना होता था। जैसे जब भी उन्हें अपनी ट्रेन से यात्रा करनी होती थी, तो वह इसकी सूचना रेल मंत्रालय को देते थे। इसके बाद उनकी ‘सालों’ बगियों को संबंधित रूट पर जाने वाली नियमित ट्रेन में जोड़ दिया जाता था। साल 1930 में हामिद अली खान के निधन के बाद, अगले नवाब राजा अली खान ने अपने पूर्वजों की तरह इस निजी ट्रेन का इस्तेमाल किया और अपनी शाही परंपरा को बरकरार रखा।
भारत-पाक बंटवारे में आया था काम
साल 1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए बंटवारे के दौरान, रामपुर की मुस्लिम आबादी को नवाब राजा अली खान ने अपनी निजी बगियों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान पहुंचाया। इसके बाद, साल 1954 में उन्होंने अपनी दो बगियां भारत सरकार को दे दीं, जिसका इस्तेमाल 1966 तक किया गया। हालांकि, बाद में इसकी रफ्तार धीरे पड़ गई। बाद में इस निजी रेलवे स्टेशन को बंद कर दिया गया और इस तरह एक शाही युग का अंत हो गया।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)





