नेताजी का विवादित बयान, “मांसाहारी थे भगवान राम”, खुद को बताया राम भक्त

Atul Saxena
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Lord Ram Was Non Vegetarian : मैं राम भक्त हूँ मैं भी मांस खाता हूँ… यह बयान है एनसीपी नेता डॉ जितेंद्र आव्हाड का। इतना ही नहीं जितेंद्र ने अपने बयान में भगवान राम को भी मांसाहारी बताया है और कहा है मैं अपने बयान पर कायम हूँ। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तारीख से पहले नेता जी का ये बयान राम भक्तों में मन में उबाल ला रहा है और वे इसका विरोध कर रहे हैं ।

धर्म के ठेकदारों के अपने अपने राम 

राम भारत में आदर्श पुरुष, मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में पूजे जाते हैं, लेकिन धर्म के ठेकेदारों ने राम का विश्लेषण अपने अपने हिसाब से शुरू कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में समाज के सामने प्रकट हुए महाज्ञानियों ने अपनी तरह से व्याख्या शुरू कर राम के कई रूप दिखा दिए।

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नेताओं का दुस्साहस, बताया राम मांसाहारी थे 

श्री राम और सिया राम के बीच अंतर बताने वाले नेताओं ने अब प्रभु श्री राम का भोजन भी तय करने का दुस्साहस किया है, एक नेता जी ने तर्क दिया है कि राम जंगल में 14 साल तक वनवास में थे तो उन्होंने वहां शिकार किया और मांस खाया, वे मांसाहारी थे, शाकाहारी नहीं थे , ये विवादित बयान है NCP नेता डॉ जितेंद्र आव्हाड का।

NCP नेता डॉ जितेंद्र आव्हाड बोले – मैं भी राम भक्त हूँ और मांस खाता हूँ

दरअसल शरद पवार गुट वाले NCP नेता डॉ जितेंद्र आव्हाड गत दिवस एक कार्यक्रम में शिर्डी पहुंचे थे उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भगवान राम मांसाहारी थे और लोग उन्हें शाकाहारी बनाने पर लगे हैं, नेताजी ने तर्क दिया कि जो व्यक्ति 14 साल जंगल में रहा शाकाहारी भोजन कहाँ से ढूंढेगा? नेताजी ने शान से कहा – मैं भी राम भक्त हूँ और मांस खाता हूँ।

अपने बयान पर कायम हैं NCP नेता 

जितेंद्र आव्हाड के बयान पर विवाद शुरू हुआ तो उन्होंने कहा – मैंने कोई विवादित बयान नहीं दिया, मैं अपने बयान पर कायम हूँ , उन्होंने मजाकिया अंदाज में पूछा कि वनवास के दौरान राम ने मैथी की सब्जी खाई थी?  अरे इस देश में 80 प्रतिशत लोग मांसाहारी हैं और वे रामभक्त हैं। जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि हजारों साल पहले जब कुछ भी उगाया नहीं जाता था तब सभी मांसाहारी थे, उन्होंने कहा कि हम कभी मुंह में राम और बगल में रावण नहीं करते।

फलाहार भी ऋषि परंपरा में भोजन ही होता है 

अब समझने वाली बात ये है कि राम हमारे मन में हैं जिसका जैसा मन होगा राम उसे वैसे ही महसूस होंगे, कुछ लोगों की राय में राम क्षत्रिय थे तो वे मांसाहारी थे, ये तर्क भी हो सकता है। राम ने जंगल में वनवास के दौरान शिकार किया ये ग्रन्थ भी कहते हैं तो क्या उसे उन्होंने खाया? इसका जवाब नहीं है। नेताजी या फिर राम को मांसाहारी कहने वाले लोग ये भूल गए कि जंगल में फल भी लगते है और हमारी ऋषि परंपरा में फलाहार भी एक भोजन हैं,  चूँकि NCP नेता खुद मांसाहारी हैं और राम को पूजते हैं तो उनको राम मांसाहारी लगते हैं, ये उनका द्रष्टिकोण है।

प्रभु श्री राम इन्हें सद्बुद्धि दें 

बहरहाल करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र बिंदु प्रभु श्रीराम के भोजन पर छिड़ी ये नई बहस उनके मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा को रोक तो नहीं पायेगी हाँ जिस तरह ऋषि मुनियों के यज्ञ में राक्षस विघ्न डालते थे उसी तरह का किंचित व्यवधान जरुर बन सकती है, अब प्रभु राम का भोजन डिसाइड करने वाले नेताओं को वे ही सद्बुद्धि दे सकते हैं


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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