भाजपा में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी के बीच पूर्व मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस पद के लिए स्थिति मजबूत होने की अटकलें हैं। इंडिया टुडे टीवी को दिए इंटरव्य में चौहान ने सावधानी बरतते हुए कहा कि वह पार्टी लाइन का पालन करेंगे। उन्होंने कहा, “जब आप एक बड़े मिशन का हिस्सा होते हैं तो आप अपने बारे में कैसे तय कर सकते हैं कि मैं यह काम करूंगा? एक समर्पित स्वयंसेवक और भाजपा कार्यकर्ता के रूप में मैं पार्टी की ओर से दिए गए काम को पूरी निष्ठा से करता हूं।”
कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय का नेतृत्व कर रहे चौहान ने अपनी जनसेवक छवि को बरकरार रखते हुए सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा, “मैं केवल आज के लिए जीता हूं। कल की चिंता नहीं करता। मैं जहां हूं वहां किसानों के साथ दिन-रात काम कर स्थिति सुधारने में खुश हूं।” हालांकि, उनकी सादगी के पीछे एक सोची-समझी रणनीति नजर आती है। हाल ही में अपने गृह जिले सीहोर में विकास भारत संकल्प यात्रा के तहत पदयात्रा की गई जो भावनात्मक जुड़ाव पर केंद्रित थी।
किस तरह की हो रही चर्चा
आरएसएस के कुछ नेताओं की ओर से शिवराज चौहान का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए सुझाए जाने की चर्चाएं हैं। मध्य प्रदेश में उनके चार कार्यकालों के दौरान हिंदुत्व और समावेशी विकास के मिश्रण ने उन्हें महिलाओं, ओबीसी और किसानों में मजबूत आधार दिया जिन्हें संगठन फिर से जीतना चाहता है। लेकिन रास्ता आसान नहीं है। 2023 के मध्य प्रदेश चुनावों में जीत के बावजूद उन्हें 5वां कार्यकाल न देकर मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया जिससे पार्टी के भीतर तनाव उजागर हुआ।
शिवराज चौहान का क्या जवाब
शिवराज चौहान ने साइडलाइन किए जाने की बात को खारिज करते हुए कहा, “मैं चार बार मुख्यमंत्री, 12 बार विधायक और केंद्रीय मंत्री बना।” रिटायरमेंट के सवाल पर उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं सोचता कि मुझे यह पद नहीं मिला या वह चाहिए। ऐसा सोचने से व्यक्ति परेशान रहता है और उसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है।” उनकी विनम्रता के पीछे रणनीतिक धैर्य हो सकता है और 2029 के बाद भाजपा के लिए रास्ता तय करने में उनकी जनस्वीकार्यता और नागपुर के समर्थन से वह शीर्ष पर आ सकते हैं।





