EPFO :पेंशनरों को जल्द मिलेगी अच्छी खबर! 1000 से बढ़कर 7500 रुपये हो सकती है ईपीएस-95 पेंशन, जानें क्या है नया अपडेट

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये प्रति माह किए जाने की चर्चा चल रही है। यह प्रस्ताव वर्तमान में संसदीय स्थायी समिति के पास विचाराधीन है

EPFO Minimum Pension : देश के करोड़ों पेंशनर्स के लिए अच्छी खबर है। जल्द पेंशन को लेकर गुड न्यूज मिल सकती है। खबर है कि केंद्र सरकार ने बढ़ती महंगाई को देखते हुए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन  की कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत मिलने वाली मासिक पेंशन को बढ़ाने की तैयारी में है, इसे 1000 रुपए से बढ़ाकर 7,500 रुपये किया जा सकता है।

दरअसल, सितंबर 2014 में केंद्र ने कर्मचारी पेंशन योजना ईपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन राशि को 250 से बढ़ाकर 1000 रुपए किया है और अब पेंशनर्स संगठनों की मांग है कि यह राशि 1000 रुपये से बढ़ाकर 7500 रुपये प्रतिमाह की जाए। चुंकी 2014 की घोषणा के बावजूद न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये निर्धारित है। हालांकि अभी केन्द्र की तरफ से इस पर कोई अधिकारिक बयान या पुष्टि नहीं की गई है।

समिति ने केन्द्र सरकार से किया आग्रह

  • मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो श्रम संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि EPFO की कर्मचारी पेंशन योजना EPS के तहत दी जाने वाली न्यूनतम पेंशन बढ़ाई जाए। 2014 के मुकाबले 2025 में महंगाई कई गुना बढ़ गई है और इसके मुताबिक पेंशन में वृद्धि भी करने की जरूरत है।
  • समिति का कहना है कि वित्तीय असर को ध्यान में रखते हुए भी पेंशनर्स और उनके परिवार के सदस्यों को देखते हुए इसपर ध्यान देने की जरूरत है।संसद की एक समिति ने भी मिनिमम पेंशन 1 हजार रुपए से बढ़ाकर 7500 रुपए करने की मांग की है। समिति ने श्रम मंत्रालय से एक निश्चित समय सीमा के अंदर EPS का तीसरे पक्ष द्वारा मूल्यांकन पूरा करने को कहा है। भाजपा सांसद बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता वाले पैनल का भी मानना है कि मूल्यांकन प्रक्रिया 2025 के अंत तक पूरी हो जाए।

ईपीएस 95 की वर्तमान स्थिति

ईपीएफ में दो तरह के खाते होते हैं, जिसमें से एक रिटायरमेंट पर एकमुश्त निकासी के लिए और दूसरा मासिक पेंशन भुगतान के लिए। नियोक्ता के 12% योगदान में से 8.33% पेंशन के लिए ईपीएस में जाता है, जबकि शेष 3.67% ईपीएफ को आवंटित किया जाता है।इसमें सरकार भी 1.16% का योगदान करती है।


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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