NGT ने देशभर में पीपल लायबेलिटी इंश्योरेंस एक्ट को सख्ती से लागू करने का दिया आदेश

Gaurav Sharma
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जबलपुर, संदीप कुमार। दिल्ली में स्थित एनजीटी की प्रिंसिपल बैंच (Principal bench of NGT) ने एक अहम आदेश दिया है। एनजीटी (NGT) ने देशभर में पीपल लायबेलिटी इंश्योरेंस एक्ट (People Liability Insurance Act) सख्ती से लागू करने के आदेश दिए हैं। एनजीटी (NGT) ने नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (National Legal Service Authority) और स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी (State Legal Service Authority) को ये भी आदेश दिया है कि वो खतरनाक पदार्थों से होने वाली दुर्घटनाओं (Accidents) के मामलों में पीड़ितों को एनवायरमेंट फण्ड (Environment fund) से राहत राशि और मुआवज़ा दिलवाएं।

दरअसल भोपाल गैस कांड (bhopal gas tragedy) के बाद देशभर में पीपल लायबेलिटी इंश्योरेंस एक्ट (People Liability Insurance Act) लागू किया गया था, लेकिन इसका पालन आज तक नहीं किया जा रहा। कानून में प्रावधान है कि अगर खतरनाक पदार्थों से किसी भी तरह की दुर्घटना (Accident)  होती है तो पीड़ितों को जनदायित्व बीमा से क्लेम दिलवाया जाए और अगर क्लेम की राशि बीमा से ज्यादा होती है तो एनवायरमेंट फण्ड से पीड़ितों को मुआवज़ा दिया जाए।

इस याचिका (petition ) पर सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से कहा गया कि देश में 881 करोड़ रुपयों की राशि एनवायरमेंट फण्ड में जमा है। लेकिन इससे किसी को भी मुआवज़ा नहीं दिया गया है। ऐसे में एनजीटी ने सख्त आदेश देते हुए प्रावधानों का पालन करने के निर्देश दिए हैं।

बता दें कि कानून के मुताबिक अगर कोई भी शख्स या संस्था खतरनाक पदार्थों का इस्तेमाल करती है तो उसे जनदायित्व बीमा करवाना जरुरी है। इस कानून के मुताबिक ऐसी संस्थाओं को 50 करोड़ या उनके कैपिटल असैट्स की वैल्यू के बराबर बीमा करवाना होगा और उतनी ही राशि एनवायरमेंट फण्ड में जमा करवानी होगी।

कानून के मुताबिक ऐसी दुर्घटना होने पर संबंधित जिले के कलेक्टर को सुनवाई के बाद क्लेम की राशि तय करनी होती है और अगर क्लेम ज्यादा होता है तो पीडितों को इनवायरमेंट फण्ड से राहत राशि देना जरुरी होता है। इस कानून की जानकारी ना होने पर अक्सर इस कानून के तहत पीड़ितों को मुआवज़ा नहीं मिल पाता था, जिसे एनजीटी में याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी। जबलपुर के ज्ञानप्रकाश की इस याचिका पर अब एनजीटी ने नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी और स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी को ये कानून सख्ती से अमल में लाने के आदेश दिए हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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