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Fri, Dec 19, 2025

मालेगांव मामले में मोहन भागवत की गिरफ्तारी को लेकर अधिकारी के दावे में कोई दम नहीं, अदालत ने किया साफ

Written by:Mini Pandey
Published:
कोर्ट ने अपने 100 पेज से अधिक के फैसले में कहा कि मुजावर द्वारा सोलापुर मजिस्ट्रेट कोर्ट में दाखिल दस्तावेज इस मामले में सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किए जा सकते, क्योंकि वे ट्रायल कोर्ट में गवाही के तहत सत्यापित नहीं हुए।
मालेगांव मामले में मोहन भागवत की गिरफ्तारी को लेकर अधिकारी के दावे में कोई दम नहीं, अदालत ने किया साफ

मालेगांव, 29 सितंबर 2008 को हुए बम विस्फोट मामले में विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कोर्ट ने सभी सात आरोपियों (जिसमें पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर शामिल हैं) को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं हैं। यह विस्फोट, जिसमें एक मोटरसाइकिल में रखे बम के फटने से छह लोगों की मौत हो गई थी, शुरू में राज्य की आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने जांच की थी, जिसे बाद में एनआईए को सौंप दिया गया।

पूर्व ATS अधिकारी मेहबूब मुजावर ने शुक्रवार को सनसनीखेज दावा किया कि जांच टीम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि दो ATS सदस्यों की हिरासत में हत्या की गई और जांच को गलत दिशा में ले जाने की कोशिश की गई। हालांकि, विशेष जज एके लखोटी ने इन दावों को खारिज कर दिया, क्योंकि मुजावर ने ट्रायल कोर्ट में गवाह के रूप में बयान नहीं दिया और उनके दावों का कोई स्वीकार्य सबूत नहीं था।

मजिस्ट्रेट कोर्ट में दाखिल दस्तावेज

कोर्ट ने अपने 100 पेज से अधिक के फैसले में कहा कि मुजावर द्वारा सोलापुर मजिस्ट्रेट कोर्ट में दाखिल दस्तावेज इस मामले में सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किए जा सकते, क्योंकि वे ट्रायल कोर्ट में गवाही के तहत सत्यापित नहीं हुए। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त मोहन कुलकर्णी ने मुजावर के इस दावे को खारिज किया कि उन्हें RSS के वरिष्ठ नेता को गिरफ्तार करने के लिए भेजा गया था। कुलकर्णी ने कहा कि मुजावर को केवल फरार आरोपियों रामजी कालसंग्रा और संदीप डांगे को खोजने के लिए भेजा गया था।

मुजावर का नाम गवाहों की सूची में नहीं

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मुजावर का नाम गवाहों की सूची में शामिल नहीं था और न ही उन्हें अभियोजन या बचाव पक्ष द्वारा गवाह के रूप में पेश किया गया। जज ने कहा, “केवल कुछ दस्तावेज पर्याप्त नहीं हैं। इसे संबंधित गवाह के विश्वसनीय और ठोस बयान से सिद्ध करना होगा।” इस प्रकार, मुजावर के दावों को बिना शपथ और क्रॉस-एग्जामिनेशन के आधार पर अविश्वसनीय माना गया और कोर्ट ने इन दावों में कोई बल नहीं पाया।