नॉर्थईस्ट भारत के 8 राज्यों (सात बहनें और सिक्किम) में गरीबी कम करने, भूख मिटाने, शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वच्छ पानी व सफाई जैसे क्षेत्रों में अच्छी प्रगति हुई है। नीति आयोग और नॉर्थ ईस्टर्न रीजन डेवलपमेंट मंत्रालय की 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र के 121 में से 85% जिले (103 जिले) फ्रंट रनर श्रेणी में हैं। यह 2021-22 की तुलना में बड़ी उपलब्धि है जब केवल 62% जिले (64 जिले) इस श्रेणी में थे। एचीवर जिलों की संख्या भी 12 से बढ़कर 26 हो गई है।
रिपोर्ट में 84 मानकों के आधार पर प्रगति मापी गई। गरीबी और भूख जैसे क्षेत्रों में कमजोर प्रदर्शन वाले ‘एस्पिरेंट’ जिलों की संख्या क्रमशः 20 से 3 और 21 से 1 हो गई। स्वच्छ पानी और सफाई (एसडीजी 6) में 114 जिले फ्रंट रनर बने, जो पहले 81 थे। लैंगिक समानता (एसडीजी 5) में भी 112 जिले फ्रंट रनर हैं, जो पहले 71 थे। मिजोरम का ह्नाहथियाल जिला 81.43 अंकों के साथ शीर्ष पर रहा।
असम के 89% जिले फ्रंट रनर
नागालैंड, मिजोरम और त्रिपुरा के तीन-तीन जिले और सिक्किम का एक जिला टॉप 10 में शामिल हैं। असम के 89% जिले फ्रंट रनर हैं जबकि सिक्किम के सभी छह जिले इस श्रेणी में हैं। मणिपुर में 2023 से जातीय तनाव है। यहां 75% जिले फ्रंट रनर हैं लेकिन तमेंगलॉन्ग, नोनी और फेरज्वल जैसे जिले पीछे हैं। त्रिपुरा ने बुनियादी ढांचे और असमानता कम करने में अच्छा प्रदर्शन किया।
डेटा की कमी एक चुनौती
रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु कार्रवाई (एसडीजी 13) में 49 जिले एस्पिरेंट हैं। असमानता कम करने (एसडीजी 10) में भी कमजोर जिले बढ़े हैं। नए और दूरस्थ जिलों में डेटा की कमी एक चुनौती है। 131 में से 121 जिलों का ही मूल्यांकन हो सका क्योंकि कुछ जिले नए बने हैं या दूरस्थ हैं। इस क्षेत्र में समुद्री जीवन (एसडीजी 14) लागू नहीं है और वैश्विक सहयोग (एसडीजी 17) का जिला स्तर पर सीमित महत्व है।





