लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को कहा कि वह संसद की संयुक्त समिति में सभी दलों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे, जो तीन विवादास्पद विधेयकों की जांच करेगी। ये विधेयक 30 दिनों तक गिरफ्तार शीर्ष सरकारी अधिकारियों को हटाने का प्रस्ताव करते हैं। बिरला ने संवाददाताओं से कहा कि वह सभी राजनीतिक दलों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और सभी दलों से अपने प्रतिनिधियों के नाम देने का आग्रह किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि समिति का गठन जल्द ही किया जाएगा।
कई विपक्षी दलों ने इस समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया है, जो अभी तक गठित नहीं हुई है। तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), और आम आदमी पार्टी ने स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि वे समिति का हिस्सा नहीं होंगे। कांग्रेस ने अभी तक अंतिम निर्णय नहीं लिया है, जबकि समाजवादी पार्टी ने संकेत दिया है कि विपक्ष को एकजुट होकर समिति में शामिल नहीं होना चाहिए। बिरला ने कहा कि संसदीय समितियां राजनीतिक विभाजन से ऊपर काम करती हैं और सदस्य इनमें स्वतंत्र रूप से अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं।
लोकसभा में तीन विधेयक पेश
20 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए: केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025। इन विधेयकों में गंभीर आरोपों में 30 दिनों तक गिरफ्तार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, और मंत्रियों को हटाने का प्रावधान है।
विपक्ष ने तीव्र विरोध किया
विपक्ष ने इन विधेयकों को असंवैधानिक बताते हुए इसका तीव्र विरोध किया और दावा किया कि ये विभिन्न राज्यों में सत्ता में मौजूद उनके नेताओं को निशाना बनाने के लिए हैं। लोकसभा ने इन विधेयकों को जांच के लिए 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सदस्यों वाली संयुक्त संसदीय समिति को भेजा है। बिरला ने राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन के बाद कहा कि वह संसदीय समितियों की सर्वोत्तम परंपराओं को बनाए रखने का प्रयास करेंगे।





