बाबरी विध्वंस की 32वीं बरसी पर जानिए कब शुरू हुई मंदिर और मस्जिद की यह लड़ाई? कितना पुराना है यह मामला?

आज के ही दिन 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराया गया था। जिसके बाद देशभर में दंगे छिड़ गए थे। बाबरी विध्वंस की 32वीं बरसी पर आज हम जानेंगे आखिर यह विवाद कब शुरू हुआ और कैसे शुरू हुआ।

Rishabh Namdev
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आज ही के दिन 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों द्वारा अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को विध्वंस किया गया था। इसके बाद कानपूर से लेकर मुंबई तक भयंकर दंगे छिड़ गए थे। इसके बाद लंबी लड़ाई मस्जिद और मंदिर को लेकर देखी गई। हालांकि 2019 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से राम मंदिर के पक्ष में आदेश सुनाया गया। इसके बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करने का शुभारंभ किया गया।

22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा की गई। 500 साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर रामलाल गर्भ गृह में विराजमान हुए। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद देश में दंगे भड़क गए थे और लगभग इस दंगे में 2000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।

कब शुरू हुई यह लड़ाई?

दरअसल 1527 में मस्जिद का निर्माण मुगल शासक बाबर के आदेश पर किया गया था। जिसके चलते इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा गया था। इस निर्माण को लेकर हिंदू पक्ष का दावा था कि मस्जिद रामलाल की जन्मभूमि पर बनाई गई है। मुगल शासक और अंग्रेजों के समय में भी हिंदुओं ने यह दावा नहीं छोड़ा। इसके बाद यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया लंबे समय तक दोनों पक्षों ने कोर्ट में इसे लेकर लड़ाई लड़ी। आखिरकार 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला हिंदुओं के पक्ष में सुनाया गया। मस्जिद और मंदिर के बीच की इस लड़ाई में कई बार हिंसा देखने को मिली। पहली बार यह हिंसा 1853 में देखी गई। यह लड़ाई नवाब वाजिद अली शाह के शासनकाल के दौरान हुई थी। हिंदू संप्रदाय निर्मोही ने दावा किया था कि यह मस्जिद मंदिर को नष्ट करके बनाई गई है। 1853 के बाद 1854 और 1855 में भी इसे लेकर हिंसा भड़की।

पहली बार कब भड़की हिंसा?

1853 में भड़की हिंसा के बाद उस समय की सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और हिंदुओं को पूजा करने से मना कर दिया। बाद में मामला अंग्रेजों के शासन तक जा पहुंचा। वहीं अंग्रेजों के शासन में फैसला सुनाया गया कि दोनों पक्षों द्वारा पूजा की जा सकेगी। दोनों पक्षों द्वारा 1955 तक पूजा की गई। मुसलमानों द्वारा इमारत में इबादत की जाती थी। वही हिंदुओं द्वारा पूजा की जाती थी। लेकिन 1857 में एक बड़ा विवाद देखने को मिला। दरअसल मुस्लिम पक्ष द्वारा मस्जिद के सामने एक दीवार बना दी गई। जिसके चलते हिंदुओं को अंदर प्रांगढ़ में जाने की इजाजत नहीं दी गई। वहीं 1883 में इस मामले को लेकर हिंसा देखने को मिली। जिसमें दोनों पक्षों की ओर से दर्जनों लोग अपनी जान गवा बैठे।

कब गिराया गया बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा?

धीरे-धीरे मामला और बढ़ता गया। 1985 में पहली बार यह मामला कोर्ट तक पहुंचा। इस विवाद में 1934 में भी बड़ा दंगा हुआ था। वही 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने मस्जिद का यह हिस्सा गिरा दिया। 6 दिसंबर की सुबह लाल कृष्ण आडवाणी और अन्य लोगों ने विनय कटियार के घर पर मुलाकात की और विवादित ढांचे को गिराने का फैसला लिया। लालकृष्ण आडवाणी के अलावा मुरली मनोहर जोशी और विनय कटिहार भी इसमें शामिल हुए। विवादित ढांचे को गिरा देने के बाद देश में दंगे छिड़ गए और इस दिन लगभग 2000 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवा दी। इन दंगों को देखते हुए शहर के तकिया पार्क इलाके में 25 साल तक पीएससी को तैनात किया गया ताकि हिंसा फिर ना फैले।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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