Old Pension Scheme 2023: आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले देशभर में पुरानी पेंशन योजना को लेकर बहस छिड़ी हुई है। एक तरफ कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में इसे बहाल कर दिया गया है, साथ ही झारखंड और पंजाब में भी इसे फिर से लागू कर दिया गया है वही दूसरी तरफ देशभर के कई बड़े जानकार, वित्त आयोग और नीति आयोग के सदस्य इसे भविष्य के लिए खतरा बता रहे है। इसी बीच अब आरबीआई (RBI) ने राज्यों को चेताया है।
आरबीआई ने पेंशन स्कीम पर वापस लोटने पर राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा कि है कि राज्य पुरानी पेंशन स्कीम लागू करते हैं तो उन्हें वित्तीय प्रबंधन के लिए एक बड़ा खतरा है। आरबीआई ने सब-नेशनल फिस्कल होराइजन के लिए इसे बड़ा खतरा बताया है और राज्यों से हेल्थ, एजुकेशन, इंफ्रा और ग्रीन एनर्जी पर उच्च पूंजीगत व्यय का आह्वान किया है।
आरबीआई ने जारी की सालाना रिपोर्ट
आरबीआई ने राज्यों के वित्त व्यवस्था पर सालाना रिपोर्ट जारी की है जिसमें कोरोना महामारी के बाद राज्यों की वित्तीय स्थिति को काफी आशाजनक बताया है, लेकिन पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर चिंता जाहिर की है।ओपीएस को लेकर कहा कि राजकोषीय संसाधनों में वार्षिक बचत जो इस कदम पर जोर देती है, वह अल्पकालिक है, वर्तमान के खर्चों को भविष्य के लिए स्थगित करके राज्य आने वाले वर्षों में अनफंडेड पेंशन देनदारियों का जोखिम उठा रहे हैं। आरबीआई ने सुझाव दिया है कि राज्यों को उच्च पूंजीगत व्यय पर ध्यान देना चाहिए।
नीति आयोग का पूर्व उपाध्यक्ष भी चिंतित
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने राज्य सरकारों को आगाह करते हुए कहा था कि पुरानी पेंशन योजना को वापस लाना एक प्रतिगामी कदम हो सकता है और वित्तीय दिवालियापन की ओर ले जा सकता है। देश और दुनिया आज जिन आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है, उसे देखते हुए इसे लाने का कदम एक ‘बेतुका विचार’ हो सकता है। पुरानी पेंशन योजना को यदि वापस लाया जाता है तो यह सरकार की सबसे बड़ी ‘रेवड़ियों’ में से एक होगा। पीएम मोदी ने रेवड़ी (फ्री गिफ्ट) को लेकर सही कहा है। हर कोई राजकोषीय घाटे को कम करने की बात करता है लेकिन कोई भी निश्चित व्यय से छुटकारा पाने सॉलिड उपाय नहीं ढूंढता है।
वित्त आयोग भी जता चुका है चिंता
15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह भी कह चुके है कि बहुत विचार-विमर्श के बाद लागू की गई NPS को छोड़ना राज्यों के लिये ‘नासमझी’ भरा कदम होगा और यह उन्हें ‘कठिनाइयों और दबाव’ में डाल देगा कांग्रेस और आप जैसे राजनीतिक दल मतदाताओं से पुरानी पेंशन योजना लागू करने का वादा कर रहे हैं। नई पेंशन योजना को छोड़ना और पुरानी व्यवस्था को अपनाना नासमझी भरा कदम है। वही उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने भी कहा था कि OPS को वापस लागू करने को लेकर मुझे थोड़ी चिंता है। इससे मौजूदा करदाताओं पर तो नहीं बल्कि भविष्य के करदाताओं और नागरिकों पर भार पड़ेगा। वर्तमान में भारत को राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित करने और सतत विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
ऐसे समझें OPS vs NPS
- नई पेंशन योजना में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है।पुरानी पेंशन एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें बाजार की चाल के अनुसार भुगतान किया जाता है।
- पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकार द्वारा कर्मचारियों-पेंशनरों को पूरी पेंशन राशि दी जाती थी, इसे 1 अप्रैल 2004 से बंद कर दिया गया था।नई योजना के अनुसार, देश में 1 जनवरी 2004 से NPS यानी नई पेंशन स्कीम लागू है ।
- NPS पर रिटर्न अच्छा रहा तो प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) और पेंशन (Pension) की पुरानी स्कीम की तुलना में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय अच्छी राशि भी मिल सकती है। ये शेयर बाजार पर निर्भर रहता है. लेकिन कम रिटर्न की स्थिति में फंड कम भी हो सकता है।
- OPS में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी, NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है।पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है।
- पुरानी पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है, रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है।
- NPS कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन में योगदान करते हैं, जबकि राज्य सरकार 14 प्रतिशत का योगदान करती है।OPS के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।