मेडे (Mayday) कॉल एक अंतरराष्ट्रीय आपात संकेत है, जिसे पायलट तब देता है जब विमान को गंभीर खतरा हो। यह कॉल फ्रांसीसी शब्द “m’aider” से लिया गया है, जिसका मतलब “मदद करें” होता है। विमान में आग, इंजन फेल होना, या हाईजैक जैसी स्थिति में यह कॉल दी जाती है।
कॉल तीन बार दोहराई जाती है: “मेडे मेडे मेडे”। इसके बाद पायलट विमान का नाम, स्थिति, और आपात स्थिति की जानकारी देता है। अहमदाबाद में 12 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 दुर्घटनाग्रस्त हुई। टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद पायलट ने मेडे कॉल दी। यह कॉल सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डे के एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को दी गई। विमान में 242 लोग सवार थे।
मेडे कॉल कब और क्यों दी जाती है?
पायलट तब मेडे कॉल देता है जब विमान को तुरंत मदद की जरूरत हो। इसमें इंजन में खराबी, आग लगना, या हवाई जहाज का नियंत्रण खोना शामिल है। यह कॉल अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत दी जाती है। इसे 121.5 MHz फ्रीक्वेंसी पर भेजा जाता है। ट्रांसपोंडर को 7700 कोड पर सेट किया जाता है। कॉल के बाद पायलट विमान की ऊंचाई, ईंधन, और यात्रियों की संख्या की जानकारी देता है। यह मदद जल्दी पहुंचाने में सहायक है। मेडे कॉल का इतिहास 1920 से शुरू हुआ, जब इसे पहली बार रेडियो संचार में इस्तेमाल किया गया। यह कॉल जान बचाने में अहम है।
अहमदाबाद हादसे से पहले की स्थिति
12 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 अहमदाबाद से लंदन जा रही थी। टेकऑफ के 30 सेकंड बाद पायलट ने मेडे कॉल दी। यह कॉल सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डे के ATC को भेजी गई। पायलट ने इंजन में खराबी की बात कही। इसके बाद विमान मेहगनी इलाके में गिर गया। हादसे में आग लग गई, और धुंआ दूर तक दिखा। 242 लोग विमान में सवार थे, जिसमें 230 यात्री, 2 पायलट, और 10 क्रू मेंबर थे। बचाव कार्य तुरंत शुरू हुआ। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने घायलों के लिए अस्पताल में व्यवस्था की। यह हादसा जांच के दायरे में है।





