नॉर्थ ईस्ट में बसे खूबसूरत त्रिपुरा में घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं? IRCTC का ये टूर प्लान करेगा आपकी मदद

Atul Saxena
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IRCTC Tripura Tour Packages : भारत के उत्तर पूर्वी सीमा यानि नॉर्थ ईस्ट में बसे पहाड़ी राज्य त्रिपुरा की प्राकृतिक ख़ूबसूरती पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है, भारत के अलावा दुनिया के अलग अलग हिस्सों से लोग त्रिपुरा घूमने जाते हैं, यदि आप भी ऐसी कुछ प्लानिंग कर रहे हैं तो एक बार IRCTC के इस टूर प्लान पर नजर जरुर डाल लीजिये, ये आपकी बहुत मदद करेगा।

हैदराबाद से उड़ान भरेगा हवाई जहाज

IRCTC ने त्रिपुरा के टूर का एक शानदार पैकेज बनाया है, ये टूर 6 दिन 5 रात का है, इसमें अगरतला और ऊनाकोटी दो डेस्टिनेशन कवर होंगे। टूर के लिए फ़्लाइट हैदराबाद हवाई अड्डे से शुरू होगा। टूर का नाम थंडर्स ऑफ त्रिपुरा (IRCTC Thunders Of Tripura Tour Package) है।

टूर का किराया 41,650/- रुपये प्रति व्यक्ति

आईआरसीटीसी का त्रिपुरा टूर 13 मार्च 2023 को शुरू होगा, यात्रियों को कम्फर्ट क्लास में यात्रा कराई जाएगी, टूर का किराया 41,650/- रुपये प्रति व्यक्ति निर्धारित किया गया है। सदस्य संख्या के हिसाब से किराये के और भी ऑप्शन हैं।

भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है त्रिपुरा

त्रिपुरा उत्तर-पूर्वी (नॉर्थ ईस्ट) सीमा पर स्थित पहाड़ों पर बसा एक राज्य है। यह भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है जिसका क्षेत्रफल 10,491 वर्ग किमी है। ये उत्तर, पश्चिम और दक्षिण तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा हुआ है, इसके पूर्व में असम और मिजोरम राज्य की सीमाएं लगती हैं। 2012 में इस राज्य की जनसंख्या लगभग 36 लाख 71 हजार थी। अगरतला त्रिपुरा की राजधानी है। बंगाली और त्रिपुरी भाषा यहाँ की मुख्य भाषायें हैं। आधुनिक त्रिपुरा क्षेत्र पर कई शताब्दियों तक त्रिपुरी राजवंश ने राज किया।

त्रिपुरा का आधे से अधिक भाग जंगलों से घिरा है

त्रिपुरा की स्थापना 14वीं शताब्दी में माणिक्य नामक इण्डो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने की थी, जिसने हिंदू धर्म अपनाया था। 1808 में इसे ब्रिटिश साम्राज्य ने जीता, यह स्व-शासित शाही राज्य बना।1956 में यह भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ और 1972 में इसे राज्य का दर्जा मिला। त्रिपुरा का आधे से अधिक भाग जंगलों से घिरा है, जो प्रकृति-प्रेमी पर्यटकों को आकर्षित करता है, किन्तु दुर्भाग्यवश यहाँ कई आतंकवादी संगठन पनप चुके हैं जो अलग राज्य की माँग के लिए समय-समय पर राज्य प्रशासन से लड़ते रहते हैं। हैण्डलूम बुनाई यहाँ का मुख्य उद्योग है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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