दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, केंद्रीय कानून मंत्री, अन्य मंत्रीगण, देश की सभी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में जहां एक ओर (न्यायपालिका) judiciary की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं विधायिका (legislature) नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम, ये संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा।
उन्होंने कहा कि हम किस तरह अपने न्याय व्यवस्था (judicial system) को इतना समर्थ बनाएँ कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए। पीएम ने कहा कि हमें courts में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इससे देश के सामान्य नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे।
डिजिटल टेक्नोलॉजी की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा – भारत सरकार भी न्याय व्यवस्था में टेक्नोलॉजी की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है। उदाहरण के तौर पर, e-courts project को आज mission mode में implement किया जा रहा है। आज छोटे कस्बों और यहाँ तक कि गाँवों में भी डिजिटल ट्रेन्जेक्शन आम बात होने लगी है। पूरे विश्व में पिछले साल जितने डिजिटल ट्रांजेक्शन (digital transaction) हुए, उसमें से 40 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शन भारत में हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज देश में करीब साढ़े तीन लाख बंदी ऐसे हैं, जो (अंडर ट्रायल) under-trial हैं और जेल में हैं। इनमें से अधिकांश लोग गरीब या सामान्य परिवारों से हैं। हर जिले में डिस्ट्रिक्ट जज की अध्यक्षता में एक कमेटी होती है ताकि इन केसेस की समीक्षा हो सके, जहां संभव हो बेल पर उन्हें रिहा किया जा सके। मैं सभी मुख्यमंत्रियों, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से अपील करूंगा कि मानवीय संवेदनाओं और कानून के आधार पर इन मामलों को प्राथमिकता दें।
प्रधानमंत्री ने देश में लीगल एजुकेशन में बदलाव पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आजकल कई देशों में (लॉ यूनिवर्सिटीज) law universities में block-chains, electronic discovery, cyber security, robotics, AI और bioethics जैसे विषय पढ़ाये जा रहे हैं। हमारे देश में भी लीगल एजुकेशन (legal education) इन international standards के मुताबिक हो, ये हमारी ज़िम्मेदारी है।
इन विषयों के आलावा भी पीएम मोदी ने बहुत से विषयों पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में, और ख़ासकर स्थानीय स्तर पर लंबित मामलों के समाधान के लिए मध्यस्थता (Mediation) भी एक महत्वपूर्ण जरिया है। हमारे समाज में तो मध्यस्थता के जरिए विवादों के समाधान की हजारों साल पुरानी परंपरा है। इस पर भी गौर होना चाहिए।