प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जुलाई से 26 जुलाई 2025 तक ब्रिटेन और मालदीव के आधिकारिक दौरे पर रवाना हो गए हैं। यह यात्रा भारत की विदेश नीति के तहत Neighbourhood First और Act East जैसे प्रमुख सिद्धांतों के अनुरूप है, जो न सिर्फ भारत के रणनीतिक हितों को मजबूत करती है, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका को और सशक्त बनाती है। इस दौरे के दौरान दोनों देशों के साथ व्यापक चर्चा, द्विपक्षीय समझौतों और संयुक्त घोषणाओं की उम्मीद की जा रही है।
FTA और रणनीतिक भागीदारी को नया आयाम
प्रधानमंत्री मोदी की यह चौथी ब्रिटेन यात्रा रणनीतिक दृष्टि से काफी अहम मानी जा रही है। 23 और 24 जुलाई को लंदन में उनके कार्यक्रमों की श्रृंखला निर्धारित है। इस दौरान भारत-ब्रिटेन के बीच लंबे समय से लंबित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर बातचीत को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना जताई जा रही है।
यह समझौता दोनों देशों के बीच निर्यात, निवेश और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। व्यापार और अर्थव्यवस्था के अलावा वार्ता में स्वास्थ्य, शिक्षा, जलवायु परिवर्तन, रक्षा, नवाचार और प्रौद्योगिकी जैसे अहम क्षेत्रों को इसमें शामिल किया जाएगा। इस कदम से ब्रिटेन और भारत के Comprehensive Strategic Partnership (CSP) को नई दिशा मिल सकती है।
सर कीर स्टारमर और राजा चार्ल्स से मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन यात्रा के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है ब्रिटिश प्रधानमंत्री सर कीर स्टारमर से उनकी मुलाकात। यह बातचीत द्विपक्षीय मुद्दों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग, वैश्विक सुरक्षा और व्यापार समझौतों को गति देने पर केंद्रित होगी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी राजा चार्ल्स तृतीय से शिष्टाचार भेंट भी करेंगे। इस मुलाकात को भारत-ब्रिटेन संबंधों के शाही और ऐतिहासिक आयाम से जोड़कर देखा जा रहा है। इन उच्च स्तरीय बैठकों के जरिए दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग की भावना को और गहरा करने की उम्मीद है।
मालदीव दौरे पर भी जाएंगे पीएम
ब्रिटेन दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 और 26 जुलाई को मालदीव की दौरे पर जाएंगे। यह प्रधानमंत्री मोदी का मालदीव में तीसरा आधिकारिक दौरा है और राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू के कार्यकाल में किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की पहली यात्रा होगी। प्रधानमंत्री को मालदीव की 60वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ पर विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। इस दौरान मोदी और मुइज्जू के बीच Comprehensive Economic and Maritime Security Partnership की समीक्षा होगी। वार्ता के दौरान हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, समुद्री व्यापार, क्षेत्रीय स्थिरता और द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग पर विशेष बल दिया जाएगा।
यह यात्रा भारत और मालदीव के बीच राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ को भी चिन्हित करती है, जिससे इसे ऐतिहासिक महत्व प्राप्त हो गया है।
कूटनीति को नई दिशा देगी यह यात्रा
विदेश मंत्रालय के अनुसार, पीएम नरेंद्र मोदी की यह दोहरी यात्रा भारत की कूटनीतिक सोच, आर्थिक विकास की दृष्टि और वैश्विक दायित्वों को दर्शाती है। भारत की Neighbourhood First Policy के तहत मालदीव जैसे पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना उसकी प्राथमिकता है, वहीं ब्रिटेन जैसे पुराने साझेदार के साथ FTA को अंतिम रूप देना भारत के वैश्विक व्यापार एजेंडे को मजबूती देगा।
इस यात्रा के दौरान कई रणनीतिक सहमतियों, ठोस समझौतों और संयुक्त घोषणाओं की संभावना है, जो भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और सशक्त स्थिति में लाने में मदद करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि बहुपक्षीय कूटनीति का एक सक्रिय और प्रभावशाली पड़ाव मानी जा रही है





