प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में आदि तिरुवथिरई महोत्सव के साथ महान चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती समारोह में भाग लिया। राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह को उन्होंने संबोधित भी किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, “एक प्रकार से ये राज राजा की श्रद्धा भूमि है और आज इलैयाराजा ने जिस प्रकार हम सभी को शिवभक्ति में डुबो दिया। क्या अद्भुत वातावरण था। मैं काशी का सांसद हूं, जब मैं ‘ॐ नमः शिवाय’ सुनता हूं तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।”
पीएम मोदी ने कहा, “इतिहासकार मानते हैं कि चोल साम्राज्य का दौर भारत के स्वर्णिम युगों में से एक था। चोल साम्राज्य ने भारत को लोकतंत्र की जननी कहने की परंपरा को भी आगे बढ़ाया। इतिहासकार लोकतंत्र के नाम पर ब्रिटेन के मैग्ना कार्टा की बात करते हैं। लेकिन कई सदियों पहले, चोल साम्राज्य में लोकतांत्रिक पद्धति से चुनाव होते थे। हम ऐसे कई राजाओं के बारे में सुनते हैं जो दूसरे स्थानों पर विजय प्राप्त करने के बाद सोना, चांदी या पशुधन लाते थे। लेकिन राजेंद्र चोल गंगाजल लेकर आए।“
भगवान बृहदेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना
नरेंद्र मोदी ने रविवार को चोलकालीन भगवान बृहदेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की। वैदिक और शैव तिरुमुराई मंत्रोच्चार के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर में पूजा-अर्चना की और वह पारंपरिक रूप से सजा हुआ एक कलश साथ लाए, जिसके बारे में बताया जा रहा है है कि उसमें गंगा नदी का जल है। मंदिर के पुजारियों ने पारंपरिक तरीके से ‘‘पूर्ण कुंभम’ के साथ प्रधानमंत्री का स्वागत किया।
भीतरी गलियारे की परिक्रमा
प्रधानमंत्री मोदी ने धोती, सफेद कमीज और गले में अंगवस्त्र पहने मंदिर के भीतरी गलियारे की परिक्रमा की। यह मंदिर यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन) धरोहर स्थल के तौर पर सूचीबद्ध चोल साम्राज्य काल के मंदिरों में से एक है। प्रधानमंत्री ने चोल शैव धर्म और वास्तुकला पर आधारित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक प्रदर्शनी भी देखी। मालूम हो कि पीएम मोदी दो दिवसीय दौरे के तहत तमिलनाडु में हैं।





