चीन के तियानजिन में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भारत, रूस और चीन ने अपनी एकजुटता और ताकत का प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गर्मजोशी से मुलाकात की, जिसमें हाथ मिलाने और गले लगने के दृश्य ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को स्पष्ट संदेश दिया कि यूरेशियाई शक्तियां अमेरिकी दबाव में नहीं आएंगी। यह प्रदर्शन तब हुआ जब अमेरिका ने भारत के रूसी तेल खरीद पर टैरिफ हमला शुरू किया है।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की दोस्ताना मुलाकात, जिसमें दोनों हाथ पकड़कर चलते नजर आए, ने भारत-रूस के ऐतिहासिक रिश्तों की मजबूती को दर्शाया। इसके बाद दोनों ने शी जिनपिंग से मुलाकात की और तीनों नेताओं की हंसी-मजाक ने उनकी सहजता को उजागर किया। इस बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समूह फोटो के लिए अकेले खड़े दिखे, जो क्षेत्रीय कूटनीति में उनकी अलग-थलग स्थिति को दर्शाता है।
किन बातों पर बनी सहमति
मोदी और पुतिन के बीच एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान एक द्विपक्षीय बैठक भी होगी। इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग से मुलाकात कर सीमा विवाद के निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की दिशा में काम करने पर सहमति जताई। दोनों देशों ने व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ाने का भी संकल्प लिया, ताकि वैश्विक व्यापार को स्थिर किया जा सके। मोदी ने कहा कि भारत-चीन सहयोग 2.8 अरब लोगों के हितों से जुड़ा है और यह मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा।
आतंकवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा
चीन ने पाकिस्तान के साथ अपने गहरे संबंधों के बावजूद, आतंकवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा में हिस्सा लिया, जो भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत लगातार पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को उजागर करता रहा है। शी ने वैश्विक अस्थिरता का जिक्र करते हुए भारत और चीन को ग्लोबल साउथ के प्रमुख सदस्यों के रूप में सहयोग बढ़ाने की बात कही। मोदी ने शी को अगले साल भारत में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया, जिसके लिए शी ने समर्थन का आश्वासन दिया।





