नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। स्वतंत्रता दिवस की 75वीं सालगिरह पर पूरे देश में आजादी की अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। भारत की पहली और सबसे कम उम्र की आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 15 अगस्त की पूर्व संध्या पर देश के नाम संबोधन दिया। यह राष्ट्रपति के तौर पर राष्ट्र के नाम उनका पहला संबोधन है। 25 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू ने भारत की राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।
द्रौपद्री मुर्मू ने अपने पहले संबोधन में देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को आजादी के 75वीं सालगिरह की बधाई दी। 14 अगस्त यानी आज के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में आजादी के दौरान शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियो को याद करते हुए उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 के दिन हमने विदेशी शासन की बेड़ियों को काट दिया था। उस शुभ-दिवस की वर्षगांठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं। उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया ताकि हम सब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें।
आजादी का अमृत महोत्सव देश को समर्पित
उन्होंने आगे कहा कि, दांडी यात्रा ने न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व-पटल पर हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को स्थापित किया। उन्हें सम्मान देने के लिए भारत में आजादी के अमृत महोत्सव की शुरुआत की गई। ये महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है।
भारत ने कोरोना के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कोरोना का भी जिक्र करते हुए जब दुनिया कोरोना महामारी के गंभीर संकट और आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी, तब भारत ने खुद को संभाला और पुनः तीव्र गति से आगे बढ़ने लगा। इस समय भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ रही मुख्य अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है।