जेल में कैद एक कैदी को मिला 8 लाख का सालाना पैकेज, जानिए पूरा मामला

JABALPUR

शिमला, डेस्क रिपोर्ट। जहां कोरोना ने लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है वहीं लोगों की आर्थिक समस्या भी बढ़ा दी है। कोरोना काल के कारण लगे लॉकडाउन के चलते कई लोग आर्थिक रुप से निर्बल हो गए, वहीं बहुत लोगों की जॉब पर असर पड़ा है। इसी बीच शिमला से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक कैदी को उसकी काबिलियत के दम पर 8 लाख का सालाना पैकेज बतौर साइंस टीजर के तौर पर मिला है।

दरअसल, हिमाचल की जेल में ये कैदी उम्र कैद की सजा काट रहा है। ये कैदी कक्षा 10वीं- कक्षा 12वीं के छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाता है। कैदी की लगन और काबिलियत को देखते हुए ऑनलाइन क्लास मुहैया कराने वाली एक कंपनी ने इस कैदी को बतौर साइंस टीचर 8 लाख के सालाना पकैज पर नौकरी पर रखा है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।