Purple Day : मिर्गी पीड़ितों के साथ एकजुटता का दिन, पर्पल डे पर मिथक तोड़ें और जागरूकता बढ़ाएं

मिर्गी यानी एपिलेप्सी एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। WHO के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 6.5 करोड़ लोग मिर्गी से प्रभावित हैं, जिनमें से 80% विकासशील देशों में रहते हैं। भारत की बात करें तो यहां करीब 1.2 करोड़ लोग इस स्थिति से जूझ रहे हैं। ये बीमारी किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है, लेकिन बच्चों और बुजुर्गों में ज्यादा देखी जाती है। अच्छी बात ये है कि 70% मिर्गी रोगियों का इलाज दवाओं या सर्जरी से संभव है लेकिन जानकारी और संसाधनों की कमी के कारण लाखों लोग इलाज से वंचित रहते हैं। कई जगह इसे एक सामाजिक कलंक की तरह देखा जाता है और ये इस बीमारी से जुड़ी बड़ी समस्या है।

Purple Day : आज पर्पल डे है। मिर्गी के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इससे जुड़े मिथकों को दूर करने के उद्देश्य से 26 मार्च को दुनिया भर में ये दिन मनाया जाता है। इस अवसर पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है जिनमें सेमिनार, जागरूकता रैलियां, वर्चुअल इवेंट्स और मिर्गी से पीड़ित लोगों के समर्थन में विशेष गतिविधियां शामिल होती हैं।

पर्पल रंग मिर्गी का अंतरराष्ट्रीय प्रतीक माना है जो लैवेंडर (हल्का बैंगनी) फूल से प्रेरित है। लैवेंडर को प्रकृति में अकेलेपन और शांति का प्रतीक माना जाता है। मिर्गी से पीड़ित लोग अक्सर सामाजिक बहिष्कार, गलतफहमी या अलगाव की भावना से गुजरते हैं और लैवेंडर का यह गुण उनकी भावनाओं को प्रतिबिंबित करता है। पर्पल डे की शुरुआत करने वाली कैसिडी मेगन ने इस रंग को चुना ताकि ये मिर्गी से प्रभावित लोगों की अनकही कहानियों और संघर्षों को ज़ाहिर कर सके।

Purple Day : कैसे हुई शुरुआत

पर्पल डे की शुरुआत 2008 में कनाडा की नौ साल की कैसिडी मेगन ने की थी। वह खुद मिर्गी रोग से पीड़ित थी और चाहती थी कि लोग इस बीमारी को समझें और मिर्गी से जूझ रहे लोगों के संघर्षों को पहचानें। उन्होंने ही पर्पल रंग को इस दिन के लिए चुना था। इसके बाद साल 2009 में ये अभियान वैश्विक स्तर पर पहुंच गया और आज यह दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पर्पल डे का उद्देश्य और महत्व

इस दिन का मुख्य उद्देश्य मिर्गी के लक्षणों, कारणों और इलाज के बारे में सही जानकारी देना है। विशेषज्ञों के अनुसार, सही इलाज से 70% मिर्गी रोगी इसके दौरे से मुक्त हो सकते हैं। लेकिन जानकारी और संसाधनों की कमी के कारण कई लोगों का इलाज नहीं हो पाता। ये दिन सामाजिक भेदभाव को खत्म करने, मिर्गी से पीड़ित लोगों को बेहतर माहौल देने और उन तक मेडिकल सुविधाएं पहुंचाने के लिए समर्पित है।

दुनियाभर में आज कई तरह के आयोजन होते हैं।लोग बैंगनी रंग के कपड़े पहनकर मिर्गी पीड़ितों के प्रति अपना सपोर्ट व्यक्त करते हैं। स्वास्थ्य संगठनों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम और फ्री हेल्थ चेकअप कैंप आयोजित किए जाते हैं। सोशल मीडिया पर भी #PurpleDay हैशटैग के जरिए जागरूकता फैलाई जाती है। ये दिन लोगों को बताता है कि मिर्गी एक सामान्य बीमारी है, लेकिन इसके बारे में सही जानकारी की कमी के कारण लोग अक्सर इससे पीड़ित व्यक्तियों को अलग-थलग कर देते हैं। पर्पल डे का मकसद यही है कि लोग मिर्गी के बारे में जागरूक हों और इससे प्रभावित लोगों को एक सामान्य और सम्मानजनक जीवन जीने का हक मिल सके।


About Author
Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News