मंगलवार, 29 जुलाई 2025 को संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि हमले के बाद सरकार ने सेना को पूरी तरह कार्रवाई करने से रोक दिया।
राहुल ने 1971 के युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा, “तब इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ को पूरी छूट दी थी। जब उन्होंने कहा कि अभी ऑपरेशन नहीं कर सकते, छह महीने लगेंगे, तो उन्हें समय दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान के 1 लाख सैनिकों ने सरेंडर किया।” उन्होंने कहा कि आज की सरकार में वो इच्छाशक्ति नहीं दिख रही जो देश की रक्षा के लिए जरूरी होती है।
हमले के बाद 30 मिनट में पाकिस्तान के सामने सरेंडर – राहुल का आरोप
राहुल गांधी ने सदन में कहा कि सरकार ने सिर्फ 30 मिनट के भीतर पाकिस्तान को बता दिया कि भारत का हमला ‘एस्केलेटरी’ नहीं था यानी यह युद्ध बढ़ाने के इरादे से नहीं किया गया। उन्होंने कहा, “आपने यह संकेत दे दिया कि हम लड़ाई नहीं चाहते, आपने पायलटों के हाथ-पांव बांध दिए। गलती सेना की नहीं, सरकार की है।” उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद सरकार को सख्त जवाब देना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई दी। राहुल ने कहा कि जब देश पर हमला होता है, तो सेना को पूरी आज़ादी मिलनी चाहिए, तभी सही जवाब दिया जा सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा 29 बार युद्ध रुकवाया, पीएम जवाब दें
राहुल गांधी ने अपने भाषण में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का जिक्र करते हुए कहा कि ट्रंप 29 बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया। राहुल ने सवाल किया, “अगर उनमें (प्रधानमंत्री में) इंदिरा गांधी के 50 प्रतिशत भी हिम्मत है, तो इस सदन में खड़े होकर कहें कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं।” उन्होंने कहा कि देश को सच्चाई जानने का अधिकार है, और प्रधानमंत्री को इसे स्पष्ट करना चाहिए।
हम सरकार के साथ खड़े थे, लेकिन सेना को खुली छूट होनी चाहिए
राहुल गांधी ने पहलगाम आतंकी हमले को “क्रूर और दर्दनाक” करार दिया और कहा कि विपक्ष ने इस संकट की घड़ी में सरकार का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हम हमले के पीड़ित परिवारों से मिलने कश्मीर, उत्तर प्रदेश और अन्य स्थानों पर गए। उन्होंने कहा, “जब किसी सैनिक या पीड़ित से हाथ मिलाते हैं, तो पता चलता है कि वो टाइगर है। लेकिन टाइगर को आज़ादी देनी होती है। सेना को इस्तेमाल करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति चाहिए होती है। इंदिरा गांधी ने कभी अमेरिका की परवाह नहीं की, उन्होंने फैसला लिया और दुनिया ने भारत की ताकत देखी।”





