संसद के मॉनसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक इच्छाशक्ति और ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति पर सवाल उठाए। उन्होंने 1971 के युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा, “जब सातवां बेड़ा भारत की ओर आ रहा था तब इंदिरा गांधी ने जनरल मानेकशॉ को पूरी स्वतंत्रता दी थी। यही असली राजनीतिक इच्छाशक्ति है।” गांधी ने कहा कि भारतीय सेना का उपयोग करने के लिए 100% राजनीतिक दृढ़ता और पूर्ण स्वतंत्रता जरूरी है।
राहुल गांधी ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच शांति मध्यस्थता के दावों पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने पीएम मोदी को चुनौती दी, “अगर उनमें 50% इंदिरा गांधी जितना साहस है, तो वे संसद में कहें कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं।” उन्होंने पूछा, “प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं? अगर ट्रंप झूठ बोल रहे हैं, तो इसे स्पष्ट करें।” अपनी टिप्पणी में सुधार करते हुए उन्होंने कहा, “बोल देंगे, सॉरी।”
सरकार की चुप्पी पर सवाल
राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने भी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने 29 बार भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने का दावा किया, फिर भी भारत ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। खड़गे ने तंज कसते हुए कहा, “मेरे भाषण के खत्म होने तक शायद वे 30वीं बार यह दावा कर दें।” उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की।
पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर
यह बहस ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले के इर्द-गिर्द केंद्रित रही, जिसमें विपक्ष ने सरकार की नीतियों और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी स्थिति पर सवाल उठाए। राहुल गांधी और खड़गे के बयानों ने संसद में तीखी बहस को और हवा दी, जिससे सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तनाव बढ़ गया।





