कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे मानहानि मामले की सुनवाई गुरुवार को सुल्तानपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में टाल दी गई। यह स्थगन वकीलों के कार्य बहिष्कार के कारण हुआ जिसके चलते कोर्ट की कार्यवाही प्रभावित हुई। इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख अभी निर्धारित नहीं की गई है। राहुल गांधी पर यह मामला एक कथित अपमानजनक बयान के संबंध में दर्ज किया गया था जिसे लेकर सत्तारूढ़ दल के एक नेता ने शिकायत दर्ज की थी।
इस मामले की जड़ 2018 में राहुल गांधी द्वारा दिए गए एक बयान में है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। शिकायतकर्ता का दावा है कि इस बयान से उनकी और उनकी पार्टी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। यह मामला सुल्तानपुर की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में लंबित है जहां राहुल गांधी को कई बार पेश होने के लिए समन जारी किया गया है। हालांकि, राहुल गांधी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया और यह राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। इस मामले ने राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा बटोरी है क्योंकि यह विपक्षी नेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाइयों की एक श्रृंखला का हिस्सा माना जा रहा है।
मामले की सुनवाई प्रभावित
वकीलों की हड़ताल के कारण न केवल इस मामले की सुनवाई प्रभावित हुई बल्कि कोर्ट में अन्य मामलों की कार्यवाही भी रुक गई। स्थानीय बार एसोसिएशन ने यह हड़ताल कुछ प्रशासनिक मांगों को लेकर की थी जिसके चलते कोर्ट में कोई सुनवाई नहीं हो सकी। इस हड़ताल ने कई पक्षकारों को असुविधा का सामना करना पड़ा क्योंकि उनकी सुनवाई की तारीखें भी अनिश्चितकाल के लिए टल गईं। कोर्ट प्रशासन ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि अगली सुनवाई कब होगी लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही नई तारीखों की घोषणा की जाएगी।
स्थगन पर कोई टिप्पणी नहीं
राहुल गांधी के वकीलों ने इस स्थगन पर कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन उन्होंने पहले कहा था कि वे इस मामले में अपने मुवक्किल का मजबूती से बचाव करेंगे। दूसरी ओर, शिकायतकर्ता पक्ष ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कोर्ट से शीघ्र सुनवाई की मांग की है। यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच चल रही तनातनी को और उजागर करता है।





