राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने विशेष गहन संशोधन (SIR) मुद्दे पर निर्वाचन आयोग और भाजपा पर तीखा हमला बोला है। राहुल ने इसे वोट चोरी और लोकतंत्र के साथ धोखा बताया, जो 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन की याद दिलाता है, जब महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी थी। कांग्रेस का लक्ष्य भाजपा को सत्ता से हटाना है, लेकिन उसकी रणनीति स्पष्ट नहीं है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस चुनाव जीतने पर ध्यान देने के बजाय संस्थानों पर सवाल उठाने में उलझ रही है, जो जोखिम भरा हो सकता है। महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में हार के बाद, कांग्रेस ने अपनी कमजोरियों पर ध्यान देने के बजाय निर्वाचन आयोग को दोषी ठहराया। इसके लिए पार्टी ने EAGLE (एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप ऑफ लीडर्स एंड एक्सपर्ट्स) बनाया, जो चुनावी प्रक्रिया की खामियों की जांच करेगा।
भाजपा-जदयू, महागठबंधन में वोटों का अंतर
बिहार में, जहां 2020 में भाजपा-जदयू और महागठबंधन के बीच वोटों का अंतर कम था, कांग्रेस SIR के मुद्दे और राजद के चुनाव बहिष्कार की धमकी के सहारे जोर पकड़ने की कोशिश कर रही है। बंगाल में, SIR के मुद्दे ने कांग्रेस और टीएमसी को करीब लाया, लेकिन इससे कांग्रेस की स्वतंत्र छवि कमजोर हुई है। कुछ नेताओं ने संसद और चुनावों के बहिष्कार जैसे कठोर कदमों का सुझाव दिया, ताकि भाजपा की साख को चुनौती दी जाए।
विशेषज्ञों का क्या रहा है मानना
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक कांग्रेस चुनाव जीतने की ताकत नहीं दिखाती, तब तक निर्वाचन आयोग पर उसके आरोप जनता का समर्थन नहीं जुटा पाएंगे। बिहार में सीट-बंटवारे की घोषणा अभी बाकी है, जबकि भाजपा ने पीएम मोदी के नेतृत्व में अपनी मुहिम शुरू कर दी है। कांग्रेस को अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करना होगा, वरना यह जोखिम भरा कदम सविनय अवज्ञा की बजाय सिर्फ राजनीतिक नुकसान बन सकता है।





