Vande Bharat Trains: रेलवे प्रशासन का फैसला, वंदे भारत ट्रेन में मिलेगी आधे लीटर पानी की बोतल

देश में शताब्दी ट्रेनों में पहले से ही आधे लीटर पानी की बोतल दी जा रही है। वहीं शताब्दी ट्रनों में यात्रा का समय कम होता है। ऐसे में 1 लीटर पानी नहीं इस्तेमाल किए जाने पर पानी की बर्बादी होती थी।

Shashank Baranwal
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Vande Bharat train

Vande Bharat Trains: रेलवे प्रशासन ने रेल यात्रा के दौरान एक बड़ा बदलाव किया है। वंदे भारत ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों को अब आधा लीटर पानी का बोतल दिया जाएगा। दरअसल, रेलवे प्रशासन ने यह कदम पानी की बर्बादी रोकने के लिए लिए उठाया है। वहीं आधा लीटर रेल नीर पैकेज्ड वॉटर (पीडीडब्ल्यू) बोतल यात्रियों द्वारा मांगे जाने पर मुफ्त में दिया जाएगा।

पानी की बर्बादी रोकने का प्रयास

रेलवे प्रशासन की तरफ से वंदे भारत ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों को पहले 1 लीटर पानी का बोतल दिया जाता था। हालांकि यात्रियों द्वारा 1 लीटर पानी के बोतल का इस्तेमाल न कर पाने के कारण पानी की बर्बादी होती है। वहीं इसी के मद्देनजर रेलवे प्रशासन ने अब एक लीटर पानी की बोतल के बजाय आधा लीटर यानी 500 मिलीलीटर पानी की बोतल यात्रियों को मुहैया कराई जाएगी। फिलहाल, यात्रियों की मांग 500 मिलीलीटर की एक और बोतल दी जाएगी।

शताब्दी ट्रेनों में पहले से दी जा रही आधा लीटर की बोतल

गौरतलब है कि देश में शताब्दी ट्रेनों में पहले से ही आधे लीटर पानी की बोतल दी जा रही है। वहीं शताब्दी ट्रनों में यात्रा का समय कम होता है। ऐसे में 1 लीटर पानी नहीं इस्तेमाल किए जाने पर पानी की बर्बादी होती थी। हालांकि वंदे भारत ट्रेन में लंबे समय तक ट्रैवल करना होता है। इसके लिए रेलवे प्रशासन ने 1 लीटर की बजाय दो बार आधे लीटर की पानी मुहैया कराएगी। इस दौरान यात्रा के शुरूआत में पहले आधा लीटर पानी दी जाएगी। उसके बाद यात्रियों की मांग दूसरी आधा लीटर की पानी की बोतल दी जाएगी।


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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