मंगलवार को संसद के मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह से सवाल किया कि क्या सदन को वह चला रहे हैं या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। खड़गे ने कहा, “हमारे पूर्व नेताओं ने भी माना है कि व्यवधान भी लोकतंत्र का हिस्सा हैं। लेकिन मैं आज पूछता हूं, यह सदन कौन चला रहा है – आप या अमित शाह?” इस टिप्पणी से सत्ता पक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रिया हुई और उपसभापति ने तुरंत इसका खंडन किया।
खड़गे ने उपसभापति को पहले लिखे पत्र का हवाला देते हुए कहा कि विपक्षी सदस्यों के विरोध के दौरान सीआईएसएफ कर्मियों को सदन के वेल में भेजा गया, जो लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, “हम इस बात से स्तब्ध हैं कि सीआईएसएफ कर्मियों को सदस्यों के लोकतांत्रिक विरोध के दौरान वेल में दौड़ने के लिए मजबूर किया गया।” खड़गे ने इस मुद्दे को मंगलवार को फिर उठाया और इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया।
सदन में CISF कर्मी पर सवाल
उपसभापति हरिवंश ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि सदन में सीआईएसएफ कर्मी मौजूद नहीं थे। उन्होंने स्पष्ट किया, “मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि कोई सीआईएसएफ कर्मी नहीं थे। केवल मार्शल को ही प्रवेश की अनुमति है।” केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी खड़गे पर “झूठे तथ्य प्रस्तुत करने” का आरोप लगाया और कहा कि विपक्ष के नेता द्वारा उपसभापति को लिखा गया पत्र और संसद में दिए गए बयान गलत हैं।
बार-बार बाधित हुई कार्यवाही
मॉनसून सत्र, जो 21 जुलाई से शुरू हुआ, कई मुद्दों पर विपक्ष के विरोध के कारण बार-बार बाधित हुआ है, जिसमें बिहार में मतदाता सूची के विशेष संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन शामिल है। दोनों सदनों में रोजाना स्थगन देखा गया, सिवाय पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर संक्षिप्त चर्चा के। विपक्ष अभी भी बिहार में चल रहे एसआईआर पर चर्चा कराने की मांग पर अड़ा हुआ है और दोनों सदनों में हंगामा देखने को मिल रहा है।





