राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान भारत की सैन्य तैयारियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भारत के पास पाकिस्तान को पूरी तरह नष्ट करने के लिए पर्याप्त युद्धक संसाधन नहीं हैं, क्योंकि पाकिस्तान को चीन से उन्नत तकनीक और विमान जैसे संसाधनों का समर्थन प्राप्त है। सिब्बल ने भारतीय वायु सेना की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि 31 स्क्वाड्रन की संख्या अपर्याप्त है और मिग-21, मिग-29, मिराज 2000 जैसे विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है, जिससे केवल सुखोई-30एमकेआई ही बचेगा।
सिब्बल ने गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को 8 अप्रैल की सुरक्षा समीक्षा बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया, जिसके बाद पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए। उन्होंने कहा कि स्थानीय नेताओं को शामिल करने से जमीनी हकीकत बेहतर समझी जा सकती थी। इसके अलावा, उन्होंने सरकार के 11 साल के रक्षा रिकॉर्ड पर सवाल उठाए और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के हल्के लड़ाकू विमान कार्यक्रम की विफलता पर भी तंज कसा।
राजनीतिक रास्ते अपनाने की वकालत
माकपा नेता जॉन ब्रिटास ने युद्ध को समाधान न मानते हुए कूटनीतिक और राजनीतिक रास्ते अपनाने की वकालत की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम न लेने के लिए निशाना साधा। तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देब और कांग्रेस की रेणुका चौधरी ने भी सरकार की विदेश नीति और आतंकी हमलों के प्रति गंभीरता की कमी पर सवाल उठाए।
आतंकी हमलों को रोकने की गारंटी
एनसीपी (एसपी) की फौजिया खान ने भविष्य में आतंकी हमलों को रोकने की गारंटी मांगी, जबकि चर्चा में सतनाम सिंह संधू और कविता पाटीदार सहित अन्य सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। विपक्ष ने सरकार से रक्षा और सुरक्षा नीतियों पर ठोस कदम उठाने की मांग की। इस तरह संसद में आज के दिन भी गरमागरम बहस देखने को मिली। संसद के मॉनसून सत्र में तीखी बहसों का दौर अभी जारी रह सकता है।





