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Fri, Dec 19, 2025

राम दरबार की मूर्ति बनाने से पहले मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे क्यों करते थे 540 बार परिक्रमा? वजह जानकर आप भी चौंक जाएंगे

Written by:Ronak Namdev
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अयोध्या में स्थापित राम दरबार की मूर्तियां न सिर्फ कलाकारी की मिसाल हैं, बल्कि उनमें श्रद्धा और साधना की गहराई भी छुपी है। दरअसल जयपुर के प्रसिद्ध मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे ने इन मूर्तियों को तैयार करने से पहले हर दिन प्रभु राम की 540 बार परिक्रमा की और हनुमान चालीसा का पाठ किया है।
राम दरबार की मूर्ति बनाने से पहले मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे क्यों करते थे 540 बार परिक्रमा? वजह जानकर आप भी चौंक जाएंगे

अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में पहली बार भव्य राम दरबार की मूर्तियों को स्थापित किया गया है। यह मूर्तियां देखने वाले श्रद्धालु सिर्फ कलाकारी ही नहीं, बल्कि भक्ति और तप का भी अनुभव करते हैं। बता दें कि इन प्रतिमाओं को जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे ने करीब 8 महीनों की मेहनत और साधना से तैयार किया है। उन्होंने बताया कि पत्थर को तराशने से पहले हर सुबह करीब 2 घंटे तक 540 बार प्रभु राम की परिक्रमा की जाती थी। इसके साथ ही वह हनुमान चालीसा का पाठ भी करते थे, ताकि मन पूरी तरह प्रभु में लीन हो जाए।

दरअसल सत्यनारायण पांडे कोई सामान्य मूर्तिकार नहीं हैं। वे मूर्ति गढ़ने को सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रक्रिया भी मानते हैं। उनका कहना है कि मूर्ति गढ़ने से पहले मन और आत्मा का प्रभु से जुड़ना जरूरी है। जब तक मन में प्रभु का ध्यान न हो, तब तक हाथों को पत्थर छूने का अधिकार नहीं है। इसलिए वह हर सुबह प्रभु राम की परिक्रमा और हनुमान चालीसा का पाठ करते थे। यह परंपरा सिर्फ एक नियम नहीं, बल्कि आस्था का हिस्सा थी। उनके लिए यह एक तपस्या थी, ताकि हर छेनी-हथौड़ी का वार राममय हो। उन्होंने बताया कि ये परिक्रमा उनके मन को स्थिर करती थी और मूर्ति में भाव भरने में मदद करती थी।

राम दरबार में कौन-कौन सी मूर्तियां हैं शामिल?

बता दें कि राम दरबार की प्रतिमाएं श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की हैं। इन सभी मूर्तियों को संगमरमर से तराशा गया है और बेहद बारीकी से तैयार किया गया है। इन्हें मंदिर के प्रथम तल पर स्थापित किया गया है। मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा 3 जून से 5 जून तक होगी, जिसमें अयोध्या और काशी के 101 वैदिक विद्वान शामिल होंगे। यह पहली बार है जब राम दरबार को इस रूप में राम मंदिर में स्थान मिला है। यह दरबार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि करोड़ों राम भक्तों की आस्था का केंद्र बनने जा रहा है। मूर्तियां इस तरह बनाई गई हैं कि दर्शकों को साक्षात् भाव का अनुभव होता है।

राम दरबार के दर्शन कब और कैसे होंगे संभव?

दरअसल राम मंदिर के दर्शन के लिए अब एक और खास वजह जुड़ गई है। राम दरबार में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 5 जून से भक्त दर्शन कर सकेंगे। राम मंदिर पहले ही श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, और अब राम दरबार के दर्शन इसे और खास बना देंगे। सुरक्षा और व्यवस्था के लिहाज से भी मंदिर ट्रस्ट ने विशेष तैयारियां की हैं। भीड़ प्रबंधन से लेकर दर्शन की व्यवस्था तक हर पहलू को ध्यान में रखते हुए आयोजन किया जा रहा है। श्रद्धालुओं को अब न सिर्फ बाल रूप में रामलला के दर्शन मिलेंगे, बल्कि राम दरबार में राजा रूप में भी प्रभु के दर्शन संभव होंगे।