राम मंदिर निर्माण अपने अंतिम चरण में है और अब एक बड़ा धार्मिक आयोजन होने जा रहा है। 23 मई को राम मंदिर के प्रथम तल पर भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी की प्रतिमाओं के साथ राम दरबार की स्थापना की जाएगी। श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए पास जारी किए जाएंगे, जिसकी संख्या हर घंटे 50 होगी। यह व्यवस्था शुरू के तीन महीने तक रखी जाएगी ताकि मंदिर के लोड का परीक्षण किया जा सके।
राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक में नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि राम दरबार की स्थापना के साथ 30 मई तक शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण जी की प्रतिमा भी स्थापित कर दी जाएगी। इसके बाद 3 जून से राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा विधिवत रूप से शुरू होगी, जो 5 जून तक चलेगी। इस दौरान विशेष पूजा-पाठ, यज्ञ और सांस्कृतिक आयोजन होंगे।

एक दिन में 750 लोग दर्शन कर सकेंगे
दर्शन के लिए ट्रस्ट की ओर से हर घंटे 50 पास जारी किए जाएंगे। इस तरह एक दिन में 750 लोग दर्शन कर सकेंगे। ये पास पहले आओ पहले पाओ के आधार पर मिलेंगे। मंदिर के प्रथम तल पर दर्शन के लिए यह संख्या रुड़की के वैज्ञानिकों की सिफारिश पर तय की गई है ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और संरचना पर भार का परीक्षण किया जा सके।
राम मंदिर में सुरक्षा और संरचना की मजबूती को देखते हुए 10 सेंसर लगाए गए हैं। ये सेंसर पत्थरों में कंपन, हलचल और संभावित खतरे की जानकारी समय रहते दे सकते हैं। विशेषकर भूकंप जैसी स्थिति में यह तकनीक पहले ही अलर्ट दे सकती है। अगले तीन महीने तक इन सेंसर के जरिए मंदिर पर श्रद्धालुओं की संख्या का प्रभाव और लोड फैक्टर का विश्लेषण किया जाएगा।
राम दरबार की प्रतिमा जयपुर में तैयार की गई
राम दरबार की प्रतिमा जयपुर में तैयार की गई है और इसे गर्भगृह के प्रथम तल पर स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा मंदिर परिसर के परकोटे में भी सात ऐतिहासिक पात्रों की मूर्तियां लगाई जाएंगी जिनमें वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, शबरी और अहिल्या शामिल हैं। इनकी स्थापना जून में गंगा दशहरा के अवसर पर की जाएगी।
मंदिर परिसर का बाकी निर्माण कार्य भी तेजी से जारी है। मुख्य मंदिर अगस्त या सितंबर तक ट्रस्ट को सौंपा जाएगा। परकोटा का काम नवंबर तक और बाकी सुविधाएं जैसे यात्रियों के लिए विश्राम स्थल, एसटीपी, ऑडिटोरियम आदि दिसंबर 2025 तक पूरे कर लिए जाएंगे। मंदिर के प्रथम तल पर महाराष्ट्रियन टीक वुड के दरवाजे लगाए जाएंगे जबकि भूतल के दरवाजे पहले ही सोने से मढ़ दिए गए हैं।