रामगिरी स्वारिका ने चावल पर लिख डाली भगवद गीता, माइक्रो-आर्ट बनाने में लगे 150 घंटे

Ramagiri swarika wrote geeta on rice

तेलंगाना,डेस्क रिपोर्ट। भगवद गीता (Bhagavad Gita) में संसार की सारी विद्या समाहित है। भगवद गीता (Bhagavad Gita) अर्जुन और कृष्ण के बीच एक संवाद है और इसमें 700 श्लोक हैं और यह उन लोगों के लिए एक रामबाण की तरह है जो ज्ञान और शांति चाहते हैं और अगर आपको लगता है कि भगवद गीता (Bhagavad Gita) पढ़ना और प्रत्येक कविता को समझना एक चुनौतीपूर्ण चुनौती है, तो आप भी ये जानकर चौक जाएंगे की हैदराबाद की एक लड़की ने पूरे 700 छंदो को लिखा है पर किसी पेपर पर नहीं बल्कि चावल के दानों पर।

हैदराबाद के एक लॉ की छात्रा रामगिरी स्वारिका (Ramagiri Swarika) ने 4,042 चावल के दानों पर भगवद गीता (Bhagavad Gita) लिखी है। इस माइक्रो-आर्ट बनाने के लिए रामगिरी स्वारिका (Ramagiri Swarika) को लिखने में 150 घंटे लगे। मीडिया से बात करते हुए रामगिरी स्वारिका बताती है कि “मुझे हमेशा से कला और संगीत में रुचि रही है और मुझे बचपन से ही कई पुरस्कार मिले हैं। मैंने पिछले चार साल से चावल के दाने पर भगवान गणेश के चित्र के साथ सूक्ष्म कला करना शुरू किया, फिर एक ही चावल के दाने पर अंग्रेजी वर्णमाला बनाई। मेरे सबसे हालिया काम में, मैंने 4,042 चावल अनाज पर भगवद गीता लिखी है: 150 घंटे खत्म करने के लिए। मैं माइक्रो आर्ट बनाने के लिए विभिन्न उत्पादों के साथ काम करती हूं, मैं माइक्रो आर्टवर्क के लिए आवर्धक ग्लास का उपयोग नहीं करता हूं और मैं दूध कला, कागज की नक्काशी करती हूं और मैं तिल के बीज पर भी चित्र कला बनाती हूं।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।