जेल में हो रही थी रामलीला, माता सीता की खोज में निकले वानर बने दो बंदी फरार, मचा हडकंप

रामलीला मंचन के दौरान माता सीता की खोज का प्रसंग चल रहा था, कलाकार बने बंदी अपने किरदार में थे और वानर बने बंदी माता सीता की खोज करने में लगे हुए थे तभी वानर बने दो बंदी भाग निकले, घटना का पता तब चल जब बंदियों की गिनती हुई।

Prisoner escapes from jail

Prisoner escapes from Haridwar jail: उत्तराखंड की हरिद्वार से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिस प्रशासन और जेल प्रशासन की नींद उड़ा दी है,  रोशनाबाद जेल से दो खूंखार बंदी उस समय भाग निकले जब जेल में रामलीला का मंचन चल रहा था और भागने वाले बंदी वानर का रूप रखे माता सीता की खोज के प्रसंग का हिस्सा थे बताया जा रह है कि बंदी जेल में चल रहे निर्माण कार्य में उपयोग होने वाली सीढ़ी लगाकर जेल की दीवार फांद कर भाग गए।

घटना बीती रात की है जब जेल में रामलीला का मंचन हो रहा था। मंचन के दौरान माता सीता की खोज का प्रसंग चल रहा था, कलाकार बने बंदी अपने किरदार में थे और वानर बने बंदी माता सीता की खोज करने में लगे हुए थे तभी वानर बने दो बंदी भाग निकले, घटना का पता तब चल जब बंदियों की गिनती हुई।

जेल से बंदियों के भागने के बाद जिले में मचा हड़कंप

बंदियों के भागने की खबर सामने आते ही जेल प्रशासन के हाथ पैर फूल गए तत्काल जिला प्रशासन और जिला पुलिस बल को सूचित किया गया, भागने वाले बंदियों की पहचान रुड़की निवासी पंकज और उत्तर प्रदेश के गोंडा निवासी राजकुमार के रूप में हुई है, घटना के बाद से जेल से लेकर जिले तक में हड़कंप मचा हुआ है बंदियों की तलाश जारी है।

jail administration की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर खड़े हो रहे सवाल

जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक पंकज हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। वहीं राजकुमार अपहरण के मामले में विचाराधीन कैदी है। बंदियों के फरार होने के बाद से जेल  प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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