राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती आज, पढ़िये उनकी ये उल्लेखनीय कविता

Maithili Sharan Gupt

Rashtrakavi Maithilisharan Gupta birth anniversary : राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की आज जयंती है। वे भारतीय साहित्य की धरोहर में एक ऐसा नाम है जो हमेशा अपनी लेखनी के कारण अमर रहेंगे। आपका जन्म 3 अगस्त 1886 में भारत के उत्तर प्रदेश के चिरगाँव में हुआ था। मैथिलिशरण गुप्त ने कविता लिखने की शुरुआत बचपन से ही की थी। उनके विद्यालयीन दिनों में ही उन्होंने कविताएं लिखना शुरू कर दिया था और उनके शिक्षक भी उनके कला-संबंधी योग्यताओं को देखकर प्रशंसा करते थे। बाद में आपने खड़ी बोली में कविताएं लिखी और इसे काव्य भाषा के रूप में विकसित किया। वे एक लोकसंग्रही कवि थे और अपने समय की समस्याओं के प्रति बेहद संवेदनशील थे। उन्होने अपनी रचनाओं में देशभर में देशभक्ति की भावना और चेतना भर दी थी, इसीलिए उन्हें राष्ट्रकवि भी कहा जाता है। आज उनकी जयंती पर पढ़ते हैं ये उल्लेखनीय कविता-

मनुष्यता

विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी¸
मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी।
हुई न यों सु–मृत्यु तो वृथा मरे¸ वृथा जिये¸
मरा नहीं वहीं कि जो जिया न आपके लिए।
यही पशु–प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे¸
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।