Employees minimum wage: केरल हाई कोर्ट ने एक और बड़ा फैसला किया है। हाई कोर्ट ने नर्सों के न्यूनतम वेतन में संशोधन के आदेश दिए है, इसके लिए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 3 महीने का समय दिया है। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार नर्सों के वेतन में संशोधन से पहले नर्सों और अस्पताल मालिकों से चर्चा करें और फिर बाद में वेतन पर समीक्षा करें।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केरल हाई कोर्ट ने राज्य की पिनराई विजयन सरकार को निजी क्षेत्र में कार्यरत नर्सों के न्यूनतम वेतन में संशोधन करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने सरकार को नर्सों और उनके नियोक्ताओं से परामर्श करने के बाद संशोधित आंकड़े के साथ आने के लिए तीन महीने का समय दिया।कोर्ट ने सुझाव दिया कि सरकार ऐसा करने से पहले नर्सों और अस्पताल मालिकों दोनों की राय लें।
सरकार ने तय किया था इतना वेतन
दरअसल, 2018 में बड़े पैमाने पर नर्सों विरोध और हड़ताल के बाद केरल सरकार ने वेतन को संशोधित करने पर सहमति दी थी, इसमें राज्य सरकार ने तय किया था कि 50 बिस्तर क्षमता वाले अस्पताल को कम से कम 20,000 और अधिकतम 30,000 रुपये देने होंगे। लेकिन अस्पतालों और नर्सों ने यह कहकर विरोध किया था कि यह वेतन कम है, इसे बढाया जाना चाहिए, इसको लेकर नर्सों ने हाल ही में विरोध भी किया था और हड़ताल पर चली गई थी।
दोनों पक्षों की सहमति के बाद होगा वेतन तय
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में सरकारी क्षेत्र में काम करने वाली एक नर्स का मूल वेतन 39,300 है, ऐसे में हड़ताल करने वाली नर्सों की मांग थी कि उनका वेतन भी समान मानकों पर बढ़ाया जाना चाहिए। इस पर अस्पताल प्रबंधन ने तर्क दिया कि सरकार ने उनकी राय को ध्यान में रखे बिना एकतरफा निर्णय लिया। इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा और अब हाई कोर्ट ने सरकार से अंतिम फैसला लेने से पहले दोनों पक्षों की राय लेने को कहा है।