कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर, सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किया ये आदेश, मिलेगा लाभ

बिहार सरकार के नए आदेश में कहा गया है कि अब राज्य के सभी सरकारी और पुलिसकर्मी छुट्टी के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

बिहार के सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। राज्य की नीतिश कुमार सरकार ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम होने के बाद छुट्टियों पर लगी रोक हटा दी है। अब कर्मचारी छुट्टी के लिए आवेदन कर सकते हैं।इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश भी जारी कर दिए है।

दरअसल, बीते दिनों बिहार सरकार ने भारत पाक तनाव के चलते पुलिसकर्मियों, पुलिस पदाधिकारियों और सभी सरकारी अधिकारियों से साथ साथ सभी कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी थी। संवेदनशील परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों की छुट्टी को मंजूरी नहीं करने के निर्देश जारी किया गए थे। केवल विशेष परिस्थितियों में छुट्टी का आवेदन स्वीकार करने की बात कहीं गई थी हालांकि अब हालात सामान्य होने पर बिहार सरकार उस आदेश को रद्द कर दिया है।

अब कर्मचारी/पुलिस कर्मी छुट्टी के लिए कर सकते है अप्लाई

नए आदेश में कहा गया है कि अब राज्य के सभी सरकारी और पुलिसकर्मी छुट्टी के लिए अप्लाई कर सकते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, विभागाध्यक्षों, प्रमंडलीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों को नए निर्देश जारी कर दिया है।

गुजरात सरकार ने भी दी कर्मचारियों को राहत

  • गुजरात सरकार ने भी छुट्टी रोक के पिछले आदेश में ढील देते हुए विभागों के प्रशासनिक प्रमुखों को राज्य कर्मचारियों की छुट्टियां मंजूर करने का अधिकार दे दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए अब विभिन्न विभागों के सभी प्रशासनिक प्रमुख कर्मचारियों की छुट्टियां मंजूर कर सकते हैं।
  • अधिसूचना में कहा गया है कि अगर कोई आपातकालीन स्थिति पैदा होती है तो संबंधित विभागों या कार्यालयों के प्रमुख छुट्टियां रद्द भी कर सकते हैं और कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से ड्यूटी पर आना होगा। जरुरत पड़ने पर छुट्टी पर होने पर भी सभी कर्मचारियों को फोन या ईमेल के जरिए हर समय उपलब्ध रहना होगा।

कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर, सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किया ये आदेश, मिलेगा लाभ


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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