मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि काम की प्रकृति एक जैसे ही हो सकती है लेकिन शैक्षणिक योग्यता और अनुभव के आधार पर वेतनमान अलग-अलग किए जा सकते हैं और अलग-अलग वेतनमान के वर्गीकरण को सही ठहराया जाता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार द्वारा दायर अपील पर सुनवाई की जा रही थी। जिसमें सीमा सुरक्षा बल की स्थापना के तहत विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत नर्सिंग सहायक को भत्ते भुगतान के आदेश का विरोध याचिका की अनुमति दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जारी मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जारी मुद्दा था कि क्या ऐसे मामले में जहां नर्सिंग सहायक और स्टाफ नर्स के पद के लिए शैक्षणिक योग्यता अलग-अलग है, नर्सिंग सहायक स्टाफ नर्स के बराबर नर्सिंग भर्ती के हकदार हो सकते है?
जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब स्टेट कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन लिमिटेड और अन्य बनाम बलवीर कुमार और अन्य के मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि नियुक्ति के लिए निर्धारित विभिन्न शैक्षणिक योग्यता और अनुभव अलग-अलग वेतन संरचना का आधार हो सकते हैं। काम की प्रकृति एक जैसे होने के बावजूद शैक्षणिक आधार पर उनके वेतनमान को भी किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय गुवाहाटी द्वारा लिया गया फैसला की शैक्षणिक योग्यता के आधार पर नर्सिंग सहायक को नर्सिंग भत्ता से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है। यह किसी भी स्थिति में टिकाऊ नहीं है। मामले में संबंधित नर्सिंग सहायक को अस्पताल रोगी देखभाल भत्ता का भुगतान किया जा रहा है।जबकि बीएसएफ में नर्सिंग सहायक के पास न तो स्टाफ नर्स के रूप में नियुक्ति के लिए अनुभव है और ना ही उनके पास स्टाफ नर्स के रूप में नियुक्ति के लिए शैक्षणिक योग्यता है। ऐसे में नर्सिंग सहायक के मामले की तुलना स्टाफ नर्स के मामले से नहीं की जा सकती है, दोनों की शैक्षणिक योग्यताएं भी अलग अलग है। ऐसी परिस्थिति में गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा असम राइफल बीएसएफ में सेवारत नर्सिंग सहायक को स्टाफ नर्स के बराबर भत्ता देने के आदेश और निर्देश देने में एक गंभीर त्रुटि नजर आती है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुवाहाटी उच्च न्यायालय खंडपीठ के आदेश को रद्द और निरस्त कर दिया गया है।
नर्सिंग सहायकों ने की थी विशेष भत्ते की मांग
सीमा सुरक्षा बल की स्थापना के तहत विभिन्न अस्पतालों में नर्सिंग सहायक की नियुक्ति हुई थी। सभी को अस्पताल रोगी देखभाल भत्ते का भुगतान किया जा रहा था, वही उनके द्वारा नर्सिंग भत्ते की भी मांग की जा रही थी। उनका कहना था कि स्टाफ नर्स को नर्सिंग भत्ता का भुगतान किया जा रहा है। ऐसे में उन्हें भी नर्सिंग भत्ते का भुगतान होना चाहिए। जिस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
हाईकोर्ट के एकल पीठ और खंड पीठ का फैसला
मामले में हाईकोर्ट के एकल पीठ द्वारा कहा गया कि शैक्षणिक योग्यता नर्सिंग भत्ते से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है। ऐसे में नर्सिंग सहायकों को नर्सिंग स्टाफ के बराबर नर्सिंग भत्ते का दावा करना चाहिए और वह स्टाफ नर्स के रूप में भत्ते पाने के योग्य है। ऐसे में उन्हें नर्सिंग भत्ते का लाभ दिया जाएगा। एकल पीठ के आदेश के बाद खंडपीठ द्वारा मूल याचिकाकर्ता की याचिका अपील को खारिज कर दिया गया था जिसके बाद जिसके बाद अपीलकर्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया था।