दिल्ली विधानसभा में आज एक बार फिर कथित ‘फांसी घर’ को लेकर जमकर हंगामा हुआ। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने नेशनल आर्काइव्स से प्राप्त 1911 के नक्शे के हवाले से दावा किया कि जिसे ‘फांसी घर’ कहा जा रहा है, वह असल में ब्रिटिश कालीन ‘टिफिन रूम’ और ‘लिफ्ट रूम’ था। उन्होंने कहा कि इस इमारत को फांसी घर बताने का कोई ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद नहीं है।
स्पीकर ने बताया कि नक्शे के अलावा उन्होंने IGNCA, ICHR समेत कई ऐतिहासिक संस्थानों के विशेषज्ञों से राय ली और सभी ने यही जानकारी दी कि यह फांसी घर नहीं है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि 2022 में जब वे खुद सदस्य थे, तब उन्हें भी यही बताया गया था, लेकिन अब दस्तावेज देखकर सच्चाई सामने आ गई है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने की FIR और वसूली की मांग
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस मुद्दे को जनता की भावनाओं के साथ धोखा करार दिया। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने 2022 में जनता को गुमराह कर इस इमारत का उद्घाटन ‘फांसी घर’ के तौर पर किया और इस पर ₹1.04 करोड़ से ज़्यादा खर्च किया गया।
सीएम रेखा गुप्ता ने आरोप लगाया कि, “यह सिर्फ इमारत नहीं थी, यह जनता की भावनाओं से खिलवाड़ था। मफलर, टूटी चप्पल और छोटी गाड़ी की तरह यह भी एक रणनीति थी, जिससे लोगों को मूर्ख बनाया गया।”
उन्होंने मांग की कि दोषियों पर FIR हो, खर्च की गई राशि वसूली जाए और 24 अगस्त से पहले झूठा बोर्ड हटाया जाए, क्योंकि उस दिन ऑल इंडिया स्पीकर कॉन्फ्रेंस होने वाली है।
AAP विधायकों का विरोध, मार्शल आउट का आदेश
बातचीत के दौरान मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को “सबसे बड़ा मूर्ख” बताते हुए कहा कि “ढाई फीट की जगह को फांसी घर बता दिया गया, अब कोई वहां लटक कर दिखाए।” इस बयान पर आप विधायकों ने जमकर विरोध किया।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष आतिशी, विधायक जरनैल सिंह, प्रेम चौहान और कुलदीप कुमार को मार्शल आउट करवा दिया।
AAP ने पेश किए अपने तर्क, दी ऐतिहासिक किताब का हवाला
आप विधायक संजीव झा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हर ऐतिहासिक तथ्य दस्तावेजों में दर्ज नहीं होता। उन्होंने दावा किया कि जिस कमरे को फांसी घर कहा गया, वहां से रस्सी, जूते, कंचे आदि मिले थे, जो यह दर्शाते हैं कि वहां फांसी दी जाती थी।
उन्होंने भगत सिंह पर लिखी हरबंश राज की किताब का हवाला देते हुए कहा कि अंग्रेज फांसी के बाद काँच के गोले मारते थे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि व्यक्ति मरा है या नहीं।





