लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए चुनाव आयोग पर धांधली के गंभीर आरोप लगाए थे। राहुल गांधी का दावा था कि मतदाता सूची में गड़बड़ी कर, एक व्यक्ति के नाम कई जगह दर्ज कर, चुनावी नतीजों को प्रभावित किया गया। उनके इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई और कई विपक्षी नेता खुलकर उनके समर्थन में आ गए। इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी राहुल गांधी के दावों का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग और बीजेपी पर सीधा निशाना साधा।
वोट चोरी की असलियत अब देश को पता
संजय सिंह ने कहा कि राहुल गांधी ने जो खुलासा किया है, उसने देश के लोकतंत्र को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनके मुताबिक, “अब चुनाव आयोग और बीजेपी को समझ लेना चाहिए कि वोट चोरी और चुनाव जीतने की उनकी असलियत पूरे देश के सामने आ चुकी है। आज जो तथ्य सामने आए हैं, उसके बाद मुझे कोई दूसरा रास्ता नहीं दिख रहा, सिवाय जनविद्रोह के।” उन्होंने कहा कि “एक व्यक्ति कई राज्यों में वोट डाल रहा है, कई-कई बूथ पर उसका नाम दर्ज है। अगर यह सच है, तो फिर चुनाव कराने का क्या मतलब है? अगर लोकतंत्र को बचाना है, तो देश की जनता, सुप्रीम कोर्ट और सभी जिम्मेदार संस्थाओं को चुनाव आयोग के खिलाफ आवाज उठानी होगी।”
दिल्ली से बिहार तक ‘गड़बड़ी’ के आरोप
AAP नेता ने यह भी याद दिलाया कि उनकी पार्टी ने पहले भी दिल्ली में वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मामला उठाया था। उनके अनुसार, “हमने सबूत के साथ दिखाया था कि किस तरह मंत्रियों के घर में 33, 26, 22 और 15 वोट दर्ज हैं। यहां तक कि बीजेपी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को एक-एक बूथ से 500-500 वोट काटने का लक्ष्य दिया गया, ताकि AAP समर्थकों के वोट हटाए जा सकें। उस वक्त भी चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। बिहार के संदर्भ में संजय सिंह ने हाल में सामने आए “SIR” मामले का जिक्र किया। उन्होंने आरोप लगाया, “बिहार में SIR के जरिए बड़े पैमाने पर फर्जी वोट बनाए जा रहे हैं। 40 मृतकों के नाम वोटर लिस्ट में शामिल हैं, कुत्ते का निवास प्रमाणपत्र बन गया, यहां तक कि डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी मतदाता सूची में दर्ज कर दिया गया। ये सब बीएलओ द्वारा फर्जी साइन और फॉर्म जमा करने से हो रहा है।”
चुनावी प्रक्रिया की साख पर सवाल
संजय सिंह का कहना है कि यह सिर्फ तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि एक संगठित चुनावी घोटाला है, जिसका मकसद सत्ताधारी पार्टी को लाभ पहुंचाना है। उन्होंने कहा, “अगर चुनावी प्रक्रिया ही निष्पक्ष नहीं रहेगी, तो विपक्ष की मेहनत और जनता के समर्थन का कोई मतलब नहीं बचेगा। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने दस साल में जनता के लिए ऐतिहासिक काम किए, फिर भी धांधली करके उन्हें हराया गया।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसे मामलों को सिर्फ राजनीतिक बहस तक सीमित रखने के बजाय, इन्हें संवैधानिक और कानूनी चुनौती देने की जरूरत है। “लोकतंत्र को बचाने के लिए अब जनता को ही सड़क पर उतरना पड़ेगा, क्योंकि चुनाव आयोग से उम्मीद करना बेमानी है।”
अब आगे क्या?
राहुल गांधी के बयान और संजय सिंह के समर्थन के बाद अब यह मुद्दा सिर्फ एक राजनीतिक आरोप नहीं रह गया, बल्कि चुनावी पारदर्शिता पर गंभीर सवाल बन गया है। विपक्षी दलों का मानना है कि अगर मतदाता सूची की पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं हुई, तो आने वाले चुनावों में जनता का भरोसा उठ जाएगा। सियासी हलकों में चर्चा है कि विपक्ष इस मुद्दे को लेकर संयुक्त आंदोलन की तैयारी कर सकता है, वहीं सत्ता पक्ष इन आरोपों को “बिना सबूत की राजनीति” बता रहा है। आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराने की संभावना है, खासकर तब जब मतदाता सूची और चुनावी प्रक्रिया को लेकर ठोस सबूत पेश किए जाते हैं।





