नीलांबर कोलकाता द्वारा रेणु की कहानी संवदिया पर बनी फिल्म की स्क्रीनिंग एवं संवाद

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आंचलिक साहित्य को हिंदी में प्रतिष्ठित करने वाले सुप्रसिद्ध हिंदी कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु का यह जन्मशताब्दी वर्ष है। हिंदी-प्रदेश के साथ ही देश के कई दूसरे प्रदेशों में भी उन पर केंद्रित आयोजन हो रहे हैं। कोलकाता की प्रतिष्ठित साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था नीलांबर ने रेणु जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को केंद्र में रखकर हाल ही में एक सफल कार्यक्रम सम्पन्न किया है। इसी क्रम में संस्था ने रेणु जी की बहुचर्चित कहानी संवदिया पर इसी नाम से फ़िल्म निर्माण भी किया है।

रेणु जी ने अपने लेखन में आज़ाद भारत के ग्रामीण जीवन में हो रहे बदलावों और बदलते-बनते नए संबंधों का बहुत ही जीवंत और मार्मिक चित्र उकेरा है। उनकी कहानी संवदिया इसका एक अच्छा उदाहरण है। ‘संवदिया’ में एक बिखरते संभ्रांत परिवार की बड़ी बहू के अभावग्रस्त जीवन और उनके उससे जूझने की विभिन्न मनोदशाओं को केन्द्र में रखा गया है। साथ ही ठेठ गंवई संवदिया की संवेदना को भी इसमें व्यक्त करने की कोशिश की गई है। यह फ़िल्म उस दौर के जीवन की इन्हीं संवेदनाओं के ताने-बाने को समकालीन समय के करघे पर बुनने की कोशिश है। यह एक साहित्यिक कहानी के पन्ने से पर्दे तक की यात्रा भी है।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।