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Sat, Dec 20, 2025

कौन हैं शुभांशु शुक्ला? जो 41 साल बाद एक भारतीय के रूप में रखेंगे अंतरिक्ष में कदम? और कितने दिन रुकेंगे, जानिए

Written by:Rishabh Namdev
Published:
शुभांशु शुक्ला ने 25 जून को अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए उड़ान भरी। 41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में पहुंच रहा है। ड्रैगन कैप्सूल 26 जून को शाम 4:30 बजे ISS से जुड़ जाएगा। दरअसल इस मिशन से भारत के गगनयान की तैयारी को भी मजबूती मिलेगी।
कौन हैं शुभांशु शुक्ला? जो 41 साल बाद एक भारतीय के रूप में रखेंगे अंतरिक्ष में कदम? और कितने दिन रुकेंगे, जानिए

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 25 जून को नासा और स्पेसएक्स के साथ हुए एक्सियम-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष के लिए रवाना हो गए। यह उड़ान भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के ज़रिए लॉन्च हुई। वहीं उनके साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री भी ISS जा रहे हैं।

दरअसल शुभांशु अब अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक पहुंचने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत मिशन में हिस्सा लिया था। ऐसे देशभर के लिए यह गर्व की बात है।

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 1986 में जन्मे शुभांशु शुक्ला NDA से पढ़े हुए हैं और 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए। वे फाइटर पायलट हैं और मिग-21 से लेकर सुखोई जैसे एडवांस जेट्स उड़ाने का अनुभव रखते हैं। ISRO के गगनयान मिशन के लिए उन्हें चुना गया था, जिसके लिए उन्होंने रूस और अमेरिका में स्पेशल ट्रेनिंग ली थी। वहीं इस ट्रेनिंग में माइक्रोग्रैविटी, इमरजेंसी रिस्पॉन्स, साइंटिफिक रिसर्च और मिशन हैंडलिंग की पूरी तैयारी शामिल थी।

अंतरिक्ष में कितने दिन रहेंगे?

वहीं अंतरिक्ष में वे कुल 14 दिन रहेंगे और वहां भारतीय शिक्षण संस्थानों द्वारा डिजाइन किए गए 7 साइंटिफिक प्रयोगों पर काम करेंगे। इनमें माइक्रोग्रैविटी में बायोलॉजिकल इफेक्ट्स, हेल्थ स्टडीज और वातावरण पर रिसर्च शामिल है। इसके साथ ही NASA के 5 प्रयोगों में भी उनका सहयोग रहेगा, जो लंबे समय के स्पेस मिशनों के लिए जरूरी डेटा इकट्ठा करेंगे।

कितना खर्च आया और क्या है मिशन का मकसद?

दरअसल Ax-4 मिशन पूरी तरह से रिसर्च और टेक्नोलॉजी टेस्टिंग पर फोकस कर रहा है। शुभांशु और उनके बैकअप पायलट ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर की ट्रेनिंग समेत मिशन पर भारत ने अब तक करीब ₹548 करोड़ खर्च किए हैं। यह खर्च NASA और SpaceX के साथ तकनीकी साझेदारी, सेफ्टी इक्विपमेंट्स और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में हुआ है।

वहीं इस मिशन का बड़ा मकसद भारत के पहले मानव मिशन ‘गगनयान’ की तैयारी को जमीन देना है। शुभांशु जो प्रयोग ISS पर करेंगे, वो गगनयान के लिए तकनीकी आधार मजबूत करेंगे। इस मिशन से भारत को माइक्रोग्रैविटी में वैज्ञानिक समझ बढ़ाने और भविष्य के स्पेस प्रोजेक्ट्स के लिए अनुभव जुटाने का मौका मिलेगा।

भारतीय मिठाइयों के साथ करेंगे स्पेस में तिरंगा रोशन

दरअसल शुभांशु अपने साथ स्पेस में खास भारतीय स्वाद भी लेकर गए हैं। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि वो ISS में आम का रस, गाजर का हलवा और मूंग दाल का हलवा लेकर गए हैं। इन मिठाइयों को वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ शेयर करेंगे ताकि उन्हें भारतीय संस्कृति और स्वाद का अनुभव मिल सके।