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Sat, Dec 20, 2025

अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद देशवासियों को शुभांशु शुक्ला का संदेश, बोले – “मेरे कंधे पर मेरा भारत है”

Written by:Rishabh Namdev
Published:
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की ओर उड़ान भरते ही अपने पहले बयान में कहा, “41 साल बाद हम फिर अंतरिक्ष में हैं… ये सिर्फ एक मिशन नहीं, भारत के स्पेस फ्यूचर की शुरुआत है।” स्पेस से दिया गया उनका यह संदेश देशभर के युवाओं के लिए अब प्रेरणा बन गया है।
अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद देशवासियों को शुभांशु शुक्ला का संदेश, बोले – “मेरे कंधे पर मेरा भारत है”

25 जून भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन बन गया, जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने NASA और SpaceX के एक्सियम-4 मिशन के तहत स्पेस की ओर उड़ान भरी। वहीं 41 साल बाद कोई भारतीय फिर अंतरिक्ष पहुंचा है। दरअसल शुभांशु, ISS तक पहुंचने वाले पहले भारतीय भी बन गए हैं। उड़ान के कुछ घंटे बाद उनका एक वीडियो मैसेज भी सामने आया है।

दरअसल इस वीडियो मैसेज में उन्होंने कहा है कि “मेरे कंधे पर मेरा तिरंगा है, यह मुझे याद दिलाता है कि मैं पूरे देश के साथ हूं।” यह संदेश सुनते ही सोशल मीडिया पर बधाइयों की बाढ़ आ गई और लोग उन्हें भारत का ‘Real Hero’ कहने लगे।

‘तिरंगे के साथ ये मेरी नहीं, भारत की यात्रा है’: शुभांशु शुक्ला

दरअसल शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से जो पहला संदेश दिया, उसमें उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ मेरी यात्रा नहीं है, बल्कि भारत के भविष्य की यात्रा है। हम 7.5 किमी/सेकंड की स्पीड से पृथ्वी के चारों ओर घूम रहे हैं। मेरे कंधे पर लगा तिरंगा मुझे हर सेकंड यह महसूस कराता है कि मैं अकेला नहीं हूं। पूरी भारतवर्ष की उम्मीदें, सपने और आशीर्वाद मेरे साथ हैं।” शुभांशु शुक्ला का यह भावुक बयान देशवासियों को भी भावुक कर गया। दरअसल उनके शब्दों में सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री की भावना नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों का गर्व और आत्मविश्वास झलक रहा है।

भारत के अंतरिक्ष मिशन की एक नई शुरुआत

वहीं यह बयान सिर्फ एक मेसेज नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष मिशन की एक नई शुरुआत का दौर है। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने जब अंतरिक्ष से “सारे जहां से अच्छा” कहा था, तब भी देश में ऐसा ही जज्बा देखने को मिला था। Ax-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य रिसर्च और टेक्नोलॉजी टेस्टिंग है, लेकिन भारत के लिए यह उससे कहीं बड़ा मौका है। भारत ने इस मिशन में करीब ₹548 करोड़ खर्च किए हैं। इसमें शुभांशु और उनके बैकअप ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर की ट्रेनिंग, टेक्नोलॉजी उपकरण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की लागत शामिल है।