भारत का सबसे छोटा एयरपोर्ट, जो घर से भी है छोटा! यहां फ्लाइट लैंडिंग करना पायलट के लिए है बड़ा चैलेंज

पिछले कई सारे आर्टिकल्स में हम आपको विभिन्न एयरपोर्ट के बारे में बता चुके हैं। आज हम आपको उस एयरपोर्ट से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जो कि भारत का सबसे अनोखा और छोटा एयरपोर्ट है।

20वीं सदी में एयरपोर्ट की शुरुआत हुई थी। भारत में यह एक ऐसी जगह है जहां विमान उतरते हैं और अपने गंतव्य के लिए उड़ान भरते हैं। यह बाकी अन्य सभी संसाधनों से बहुत ही ज्यादा महंगा है, लेकिन इसमें सफर करने से लोगों के समय की बचत होती है। यह व्यापार के साथ-साथ इंटरनेशनल नेटवर्क को भी मजबूत कनेक्टिविटी प्रदान करता है। एयरपोर्ट पर लोगों को एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। चेकिंग के लिए यहां 3 से 4 घंटे का समय लगता है। इसलिए यात्रा से इतने घंटे पहले लोगों को एयरपोर्ट आना पड़ता है।

पिछले कई सारे आर्टिकल्स में हम आपको विभिन्न एयरपोर्ट के बारे में बता चुके हैं। आज हम आपको उस एयरपोर्ट से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जो कि भारत का सबसे अनोखा और छोटा एयरपोर्ट है।

भारत में है 153 एयरपोर्ट

भारत में डोमेस्टिक और इंटरनेशनल दोनों तरह की फ्लाइट मिलती है। शुरुआत से लेकर अभी तक बहुत सारे बदलाव हो चुके हैं।  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कुल 153 एयरपोर्ट वर्तमान में मौजूद है। जिनमें 118 घरेलू एयरपोर्ट और 35 इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। इनमें से सबसे बड़ा एयरपोर्ट इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो कि दिल्ली में स्थित है। यहां इंटरनेशनल और देश में ही आने-जाने वाले यात्रियों की काफी भीड़ भाड़ देखने को मिलती है। वहींं, भारत में सबसे छोटा एयरपोर्ट भी स्थित है।

बलजेक एयरपोर्ट (Balzac Airport)

दरअसल, इस एयरपोर्ट का नाम बलजेक एयरपोर्ट है, जो कि मेघालय में स्थित है। इसे तुरा एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। जिसकी लंबाई मात्र 1 किलोमीटर है, जिसका निर्माण 20 सीटर हवाई जहाज डॉर्नियर 228 के लिए हुआ था। साल 1983 में केंद्र सरकार के पास इस एयरपोर्ट को पूर्ण तरीके से बनाने का प्रस्ताव भी भेजा गया था। इसके बाद साल 1995 में बजट जारी हुआ। जिसके बाद यहां एयरपोर्ट बनाया गया और अब यह भारत का सबसे छोटा एयरपोर्ट का खिताब हासिल कर चुका है।

करोड़ों की लागत से हुआ तैयार

बता दें कि इस एयरपोर्ट का निर्माण कार्य साल 2008 में खत्म हो पाया। इसे बनाने के लिए करीब 12 करोड़ 52 लाख रुपए की लागत लगी थी। एयरपोर्ट इतना छोटा है कि पायलट के लिए यहां फ्लाइट लैंड करना मुश्किल टास्क से कम नहीं है। यहां केवल छोटे जहाजों को ही उतारा जाता है। यदि आपको कभी मौका मिले तो आप भी जरुर इस एयरपोर्ट से उड़ान भरे। यहां का सफर अपने आप में अनोखा और आकर्षक है।


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Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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