लोकसभा सचिवालय के अनुसार, मॉनसून सत्र में योजनाबद्ध व्यवधानों और बार-बार स्थगन के कारण 83 घंटे का संभावित कार्य समय खो गया। 21 जुलाई से शुरू हुआ यह महीने भर का सत्र 21 बैठकों तक चला, जिसमें केवल 37 घंटे ही प्रभावी कार्य हो सका। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि सत्र की शुरुआत में सभी दलों ने 120 घंटे की चर्चा पर सहमति जताई थी, लेकिन व्यवधानों के कारण यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका।
सत्र के एजेंडे में शामिल
ओम बिरला ने आंकड़े साझा करते हुए कहा कि सत्र के एजेंडे में शामिल 419 तारांकित प्रश्नों में से केवल 55 प्रश्नों पर ही मौखिक जवाब दिए जा सके। दूसरी ओर, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भी सदन के कामकाज पर नाराजगी जताई और बताया कि उच्च सदन में केवल 38.88% कार्य ही हो सका, जो लगभग 41 घंटे के बराबर है। उन्होंने कहा कि 285 प्रश्न पूछे जाने का अवसर था, लेकिन केवल 14 प्रश्न उठाए गए और 14 विधेयक पारित किए गए।
असफल और हानिकारक बताया
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सत्र को देश और सरकार के लिए सफल और उपयोगी बताया, लेकिन विपक्ष के लिए असफल और हानिकारक करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार राष्ट्रीय हित में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और विपक्ष के विरोध प्रदर्शन इसे रोक नहीं सकते। बिहार में निर्वाचन सूची की विशेष गहन समीक्षा पर चर्चा की मांग को लेकर एकजुट विपक्ष के विरोध के कारण सत्र के दौरान बार-बार स्थगन हुआ। दोनों सदनों को गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।





